सीजफायर को लेकर चल रही राजनीतिक बहस के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने स्पष्ट और बेबाक बयान देकर अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम को लेकर उठाए जा रहे सवालों को उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए इन्हें “निराधार और अतार्किक” बताया।
खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से भारी क्षति झेलने के बाद ही संघर्षविराम का प्रस्ताव आया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की ओर से कोई पहल नहीं की गई थी, बल्कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को कॉल कर युद्धविराम की पेशकश की थी। इस अनुरोध के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई को रोका।
“झूठे आरोपों से बचें” – खुर्शीद का संदेश
खुर्शीद ने कहा, “कुछ लोग पूछ रहे हैं कि हमने सीजफायर क्यों किया। क्या हमने पाकिस्तान से संपर्क किया? क्या हमने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया? जब कॉल आया, तो कौन रिसीव कर रहा था? सब कुछ स्पष्ट है—पाकिस्तान की ओर से ही पहल हुई थी और हमने उसे स्वीकार किया। इसके बाद से कोई नई सैन्य कार्रवाई नहीं की गई।”
राहुल गांधी को भी आड़े हाथों लिया
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह अमेरिका के दबाव में झुक गई और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बावजूद सीजफायर पर सहमति जताई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सलमान खुर्शीद ने पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए राहुल गांधी की आलोचना की और उन्हें इस विषय पर तथ्यों के आधार पर बोलने की सलाह दी।
राजनीति से ऊपर है राष्ट्रीय सुरक्षा
सलमान खुर्शीद का यह रुख स्पष्ट करता है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी से इतर ठोस तथ्यों और देशहित को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं। उनके अनुसार, राजनीतिक लाभ-हानि से ऊपर उठकर इस विषय को देखा जाना चाहिए।