अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता समाप्त, हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा के बाद अयोग्य घोषित

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लखनऊ/मऊ: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से विधायक रहे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। शनिवार को मऊ की सीजेएम अदालत ने अब्बास अंसारी को दो साल और उनके चाचा मंसूर अंसारी को छह महीने की सजा सुनाई थी। इसके अतिरिक्त दोनों पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

अदालत के फैसले के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अब्बास अंसारी की विधायकी स्वतः समाप्त मानी गई, क्योंकि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर वह पद के लिए अयोग्य हो जाता है।

विधानसभा सचिवालय ने दी विधायकी खत्म होने की जानकारी

रविवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने मऊ सदर सीट को रिक्त घोषित करते हुए निर्वाचन आयोग को इसकी जानकारी दी। विशेष व्यवस्था के तहत रविवार को विधानसभा सचिवालय का कार्यालय खोला गया और आयोग को औपचारिक पत्र भेजा गया। अब मऊ सदर सीट पर उपचुनाव कराए जाने की संभावना है।

सोशल मीडिया पर अब्बास अंसारी की प्रतिक्रिया

सजा सुनाए जाने के बाद अब्बास अंसारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “जिनके मुकद्दर ऊंचे होते हैं, उनके इम्तिहान भी कठिन होते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि वह पहले से ही सजा की अवधि से अधिक समय जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में रह चुके हैं, इसलिए अदालत ने उन्हें और उनके चाचा को जमानत पर रिहा कर दिया।

उन्होंने यह भी लिखा, “हमें अल्लाह, देश की न्याय प्रणाली और संविधान पर पूरा भरोसा है। इंसाफ की लड़ाई हम ऊपरी अदालत में जारी रखेंगे। इंशाअल्लाह, देर से ही सही मगर इंसाफ मिलेगा।”

क्या है मामला?

यह पूरा मामला 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिया गया एक विवादित बयान है। एक चुनावी सभा में अब्बास अंसारी ने कहा था कि वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से कहकर आए हैं कि सरकार बनने के बाद छह महीने तक किसी अधिकारी का तबादला नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि पहले सभी से ‘हिसाब-किताब’ लिया जाएगा, उसके बाद ही तबादले किए जाएंगे। इस बयान को भड़काऊ मानते हुए मऊ कोतवाली में तैनात उपनिरीक्षक गंगाराम बिंद ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

करीब तीन साल तक चली सुनवाई के बाद 31 मई 2025 को अदालत ने उन्हें दोषी पाया और सजा सुनाई।

अब देखना होगा कि उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिलती है या नहीं, और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की प्रक्रिया कितनी जल्दी शुरू होती है।