आईआरसीटीसी टेंडर मामले में बहुचर्चित घोटाले की सुनवाई अब अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है। इस केस में आरोपी लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की नियति पर फैसला 23 जुलाई को सुनाया जाएगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी और पुत्र तेजस्वी यादव भी इस मामले में अभियुक्त बनाए गए हैं।
क्या है मामला?
यह मामला उस समय का है जब लालू यादव केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि रेलवे की कैटरिंग शाखा आईआरसीटीसी के दो होटलों की देखरेख का ठेका देने में अनियमितताएं बरती गईं। बताया जा रहा है कि प्रक्रिया को इस तरह से मोड़ा गया कि “सुजाता होटल्स” को ही एकमात्र उपयुक्त बोलीदाता घोषित कर दिया गया। इसके बाद यह कॉन्ट्रैक्ट उसी को सौंप दिया गया।
जांच एजेंसियों का आरोप है कि इसके बदले में लालू यादव के परिवार को पटना में कीमती जमीन दी गई, जिसे बेनामी तौर पर ट्रांसफर किया गया था।
लालू परिवार की सफाई
इस मामले में पूछताछ के कई दौर पूरे हो चुके हैं और कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें भी सामने आ चुकी हैं। लालू यादव और उनके परिजन लगातार खुद को निर्दोष बताते आए हैं। उनका कहना है कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
अब अदालत यह तय करेगी कि आरोपियों पर मुकदमा चलेगा या नहीं। चार्ज फ्रेमिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।