नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने प्रधानमंत्री पद के 11 साल पूरे कर लिए। 26 मई 2014 को उन्होंने पहली बार देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इस अवसर पर जहां भाजपा ने बीते 11 वर्षों को ‘अमृतकाल’ की संज्ञा दी, वहीं कांग्रेस ने मोदी शासन को ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया।
दाहोद से पीएम मोदी का संबोधन
गुजरात के दाहोद में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके को यादगार बताया। उन्होंने कहा, “आज से 11 वर्ष पहले मैंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इन वर्षों में भारत ने कई असाधारण और साहसिक निर्णय लिए हैं। देश ने जंजीरों को तोड़ते हुए हर क्षेत्र में प्रगति की है और अब निराशा के अंधकार से निकलकर विश्वास की रौशनी में आगे बढ़ रहा है।”
कांग्रेस का तीखा प्रहार
इस मौके पर कांग्रेस ने सोशल मीडिया के ज़रिए सरकार पर करारा हमला बोला। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “आज अघोषित आपातकाल के 11 साल पूरे हो रहे हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा, “मोदी सरकार ने वादों को खोखले दावों में बदला है। युवाओं को रोजगार नहीं मिला, किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी, महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है, कमजोर वर्गों के साथ अन्याय हो रहा है और लोकतंत्र के स्तंभों पर लगातार प्रहार हो रहा है।”
बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, “यह समय भारत के अमृतकाल का है। असली आपातकाल तो कांग्रेस ने 1975 में लागू किया था। कांग्रेस का इतिहास लोकतंत्र को कुचलने वाला रहा है।”
सरकार की सालगिरह पर होंगे विशेष आयोजन
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ 9 जून को पूरी होने जा रही है। इसे लेकर भाजपा और केंद्र सरकार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। इनमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जाति आधारित जनगणना और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्रमुखता दी जा सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल पर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं एक बार फिर यह दर्शा रही हैं कि देश की राजनीति किस हद तक ध्रुवीकृत हो चुकी है। जहां भाजपा इन वर्षों को उपलब्धियों से भरा मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों के लिए संकट का दौर मान रही है।