गिरिडीह: जिले के बहुचर्चित चिलखारी हत्याकांड मामले में शुक्रवार को अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश मनोज चंद्र झा की अदालत ने इस मामले में नामजद दो आरोपियों दिलीप साव और कोल्ह यादव को पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण बरी कर दिया।
2007 में हुआ था यह दिल दहला देने वाला हमला
यह मामला 26 अक्टूबर 2007 का है, जब देवरी थाना क्षेत्र के चिलखारी गांव में फुटबॉल टूर्नामेंट के समापन के अवसर पर पुरस्कार वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इसी दौरान उग्रवादियों ने कार्यक्रम स्थल पर हमला कर दिया और नाम पूछकर अनूप मरांडी व नुनूलाल मरांडी समेत 18 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
पुलिस ने इस जघन्य वारदात के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 341, 342, 307, 302, 379, 120बी, आर्म्स एक्ट की धारा 27, क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अधिनियम की धारा 17 और यूएपीए की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया था।
अभियोजन साक्ष्य नहीं दे सका, आरोपी रिहा
बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं पारसनाथ साव और मुस्लिम अंसारी ने बताया कि अभियोजन पक्ष आरोपी दिलीप साव और कोल्ह यादव के खिलाफ कोई ठोस और निर्णायक साक्ष्य अदालत में पेश नहीं कर सका। इसी आधार पर दोनों को न्यायालय ने दोषमुक्त करार दिया।
वहीं, सरकारी अधिवक्ता अशोक दास ने बताया कि इस केस में पहले भी कई सुनवाई हो चुकी है और कुछ आरोपियों को फांसी की सजा भी दी जा चुकी है। फिलहाल मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है और अन्य आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया जारी है।