नई दिल्ली/कोलकाता: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयासों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है, ताकि ऑपरेशन और उससे जुड़े वैश्विक घटनाक्रम पर देश की जनता को पारदर्शी जानकारी दी जा सके।
ममता बनर्जी ने कहा, “भारत का ऑल पार्टी डेलिगेशन वर्तमान में विदेशों में जाकर भारत का पक्ष रख रहा है। जैसे ही वे सुरक्षित लौटते हैं, विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय हित और संप्रभुता की रक्षा के लिए तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार के साथ मजबूती से खड़ी है।
ममता बनर्जी से पहले कांग्रेस और सीपीआई जैसे विपक्षी दल भी संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। उनका तर्क है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पीछे की रणनीति, परिणाम और विदेश नीति के असर को लेकर जनता और संसद को विश्वास में लेना जरूरी है।
इस बीच केंद्र सरकार की ओर से भी कड़ा रुख अपनाया गया है। सरकार के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल कराने के लिए भारत मजबूत सबूतों के साथ एक केस तैयार कर रहा है। न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, भारत FATF के साथ मिलकर यह कदम उठाएगा ताकि आतंकवाद को समर्थन देने वाले तत्वों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
हालांकि सरकार की ओर से अभी तक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आधिकारिक पुष्टि या विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह भारत की ओर से एक सीमित सैन्य या कूटनीतिक कार्रवाई रही है, जिसका मकसद सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करना था। इस ऑपरेशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा हो रही है और यह भारत की नई सुरक्षा नीति के तहत लिया गया एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र कब बुलाती है और उसमें क्या अहम जानकारी साझा की जाती है।