भारत की सख्ती के आगे झुका पाकिस्तान, सिंधु जल संधि पर चेतावनी से हड़कंप

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नई दिल्ली/इस्लामाबाद: पुलवामा जैसे आतंकी हमलों के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। इस रणनीति का अहम हिस्सा बना है सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय एक ऐसा कदम जिसे विशेषज्ञ ‘वॉटर बम’ के रूप में देख रहे हैं।

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई इस संधि के तहत भारत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को इस्तेमाल करने देता रहा है। लेकिन अब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक जल संधि पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।

पाक संसद में मचा कोहराम

भारत के इस कड़े रुख से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। संसद में इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ गई है। पाक सांसद सैयद अली जफर ने इसे देश की सुरक्षा और अस्तित्व से जुड़ा संकट बताया। उनका कहना था, “हमारी 90% बिजली परियोजनाएं, कृषि और पेयजल आपूर्ति सिंधु जल पर निर्भर हैं। यदि भारत ने जल आपूर्ति रोक दी, तो यह हमारे लिए किसी बम से कम नहीं है।”

भारत की चेतावनी: आतंक बंद करो, तभी बात होगी

पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत से संधि बहाल करने की कई अपीलें की हैं, लेकिन भारत का रुख साफ है। पहले आतंकवाद पर लगाम लगाओ, फिर किसी वार्ता की उम्मीद करो। भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने अब तक किसी नरमी का संकेत नहीं दिया है।

सिंधु: सिर्फ एक नदी नहीं, जीवन रेखा

सिंधु बेसिन को पाकिस्तान की जीवन रेखा माना जाता है। भारत द्वारा उठाए गए इस निर्णायक कदम ने पाकिस्तान को रणनीतिक और मानवीय दोनों मोर्चों पर सोचने को मजबूर कर दिया है।

इस प्रकरण से स्पष्ट है कि अब भारत केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि रणनीतिक संसाधनों के मोर्चे पर भी आक्रामक और प्रभावशाली कूटनीति का परिचय दे रहा है।