चंदरपुरा की अंजलि सोंधिया बनीं संघर्ष और सफलता की मिसाल
“अगर इरादे बुलंद हों और जुनून सच्चा हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता नहीं रोक सकती।” इस कहावत को सच कर दिखाया है मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के छोटे से गांव चंदरपुरा की होनहार बेटी अंजलि सोंधिया ने। अंजलि ने पहले ही प्रयास में भारतीय वन सेवा (UPSC IFS) परीक्षा 2024 में सफलता हासिल करते हुए पूरे देश में 9वीं रैंक प्राप्त की है।
अंजलि की इस उपलब्धि को और भी प्रेरणादायक बनाता है उनका संघर्ष। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजलि ने अपने पिता, स्वर्गीय सुरेश सोंधिया के सपनों को अपना संकल्प बना लिया। उनके पिता का सपना था कि उनकी बेटी एक दिन अफसर बने। पिता के असमय निधन के बावजूद अंजलि ने हार नहीं मानी, बल्कि उनकी इच्छा को अपनी ताकत बना लिया।
कोचिंग का सहारा लिए बिना, केवल ऑनलाइन संसाधनों और सरकारी प्लेटफार्मों के माध्यम से अंजलि ने UPSC IFS जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी की। पूर्ण समर्पण और अनुशासन के साथ की गई उनकी सेल्फ स्टडी ही उनकी सफलता की असली कुंजी बनी। इस सफर में उनकी मां ने न केवल भावनात्मक संबल दिया, बल्कि हर कदम पर उनका हौसला भी बढ़ाया।
जब परिणाम आया, तो अंजलि अपने नाम को सूची के अंतिम पन्नों में खोज रही थीं, लेकिन उन्हें हैरानी तब हुई जब उनका नाम पहले ही पेज पर चमकता हुआ नजर आया। यह क्षण उनके परिवार के लिए गर्व और भावनाओं से भरा हुआ था।
अंजलि का कहना है कि वे अब अपने ज्ञान और सेवा के माध्यम से देश के पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने के लिए कार्य करना चाहती हैं। साथ ही वे चाहती हैं कि उनकी सफलता ग्रामीण बेटियों के लिए एक नई रोशनी बनकर उभरे, ताकि हर लड़की अपने सपनों को साकार करने का साहस जुटा सके।
अंजलि की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर जिला कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा और पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। पूरे क्षेत्र में अंजलि की सफलता को गर्व और प्रेरणा के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
अंजलि ने साबित कर दिया है कि जब संकल्प अडिग हो, तो कोई भी कठिनाई सफलता की राह को रोक नहीं सकती।