नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट में दावा किया है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इस सौदे से 142 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा। ईडी का कहना है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है और इसकी नियमित सुनवाई जरूरी है।
ईडी ने कोर्ट से कहा कि चूंकि दोनों पक्षों के वकील बेहद व्यस्त रहते हैं, उन्हें तैयारी के लिए जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह तक का समय दिया जाए। कोर्ट ने माना कि वह फिलहाल ईडी की शुरुआती दलीलें सुनेगी और फिर मामला जुलाई के पहले सप्ताह में आगे बढ़ेगा।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
यह मामला पहली बार 2012 में तब सामने आया जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी आपराधिक शिकायत दायर की। उनका आरोप था कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन लिमिटेड नाम की कंपनी के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल)—जो नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करती थी—को धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के जरिये अपने नियंत्रण में ले लिया।
2010 में एजेएल के 1,057 शेयरधारक थे, लेकिन यंग इंडियन के जरिये इसका नियंत्रण गांधी परिवार के पास चला गया। 2014 में ईडी ने इस मामले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग के तहत शुरू की। अब यह केस एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा है, और कोर्ट ने इसे नियमित रूप से सुनने की बात कही है।
यह मामला राजनीतिक गलियारों में बेहद संवेदनशील माना जा रहा है और आने वाले समय में इस पर देशभर की नजरें टिकी रहेंगी।