नई दिल्ली, दुनिया की अग्रणी टेक्नोलॉजी कंपनी ऐपल ने अपनी वैश्विक उत्पादन रणनीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारत में 1.5 अरब डॉलर (लगभग 12,834 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की है। यह निवेश आईफोन निर्माता फॉक्सकॉन के जरिए किया जा रहा है, जो दक्षिण भारत में अपनी उत्पादन क्षमताएं बढ़ाएगा।
इस फैसले को अमेरिकी राजनीति से जोड़ते हुए देखा जा रहा है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह इच्छा थी कि ऐपल अमेरिका में ही अपने उत्पादों का निर्माण करे। मगर ऐपल ने चीन पर निर्भरता घटाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत पर बड़ा दांव लगाया है।
तेजी से बढ़ रहा भारत में आईफोन उत्पादन
पिछले एक वर्ष में ऐपल ने भारत में 22 अरब डॉलर के आईफोन बनाए हैं, जो सालाना आधार पर 60% की वृद्धि दर्शाता है। वर्तमान में फॉक्सकॉन, टाटा समूह और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां भारत में आईफोन निर्माण में सक्रिय हैं।
चीन से दूरी की रणनीति
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनावों के मद्देनज़र ऐपल ने सप्लाई चेन में विविधता लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। कंपनी अब ऐसे देशों में उत्पादन बढ़ा रही है, जहां से वह व्यापारिक जोखिम को कम कर सके — और भारत इस रणनीति का केंद्र बनता जा रहा है।
अमेरिका में भी निवेश, पर निर्माण अभी भी नहीं
हालांकि ऐपल ने अमेरिका में भी निवेश और रोजगार सृजन का वादा किया है, लेकिन अब तक वहां किसी आईफोन का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। इसके विपरीत, भारत में कंपनी तेज़ी से अपने पैर जमा रही है।
रोजगार के नए अवसर
भारत में आईफोन निर्माण के विस्तार से न केवल देश की आर्थिक स्थिति को बल मिल रहा है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में भी इज़ाफा हो रहा है। टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग के संगम से भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के मानचित्र पर और अधिक मजबूती से उभर रहा है।