रामनगरी में श्रद्धालुओं की संख्या में 50% गिरावट, पर्यटन मंदा, होटल-व्यवसाय पर गहरा असर

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अयोध्या: राम मंदिर में रामलला के भव्य दर्शन के लिए उमड़ती भीड़ अब तेजी से घटने लगी है। पिछले दो माह में श्रद्धालुओं की संख्या में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट ने न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को झटका दिया है, बल्कि रामनगरी की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।

उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड इकोनॉमिक एसोसिएशन के महासचिव व अर्थशास्त्री प्रो. विनोद श्रीवास्तव के अनुसार, 10 मार्च के बाद से अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में तेज गिरावट देखी जा रही है। जहां पहले रोजाना डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए पहुंचते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर करीब 70 हजार रह गई है।

गिरती संख्या, घटता खर्च

सर्वे में सामने आया है कि अधिकतर श्रद्धालु अब सुबह अयोध्या आकर शाम को लौट जाते हैं। उनके द्वारा किया गया खर्च भी बमुश्किल 500 से 1000 रुपये तक सीमित रह गया है। यह ट्रेंड पर्यटन व्यवसाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

स्थानीय व्यवसाय पर भारी असर

अयोध्या के होटल-गेस्ट हाउस अब खाली पड़े हैं। कई पर्यटकों ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अपनी बुकिंग्स कैंसिल कर दीं। होटल व्यवसायियों के अनुसार, पहले जहां सभी कमरे बुक रहते थे, अब मुश्किल से पांच-छह कमरे भी बुक नहीं हो पा रहे हैं।

महाकुंभ के बाद आई सुस्ती

महाकुंभ के दौरान अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज के धार्मिक त्रिकोण में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिली थी, जिससे अच्छी कमाई हुई थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में उनकी आमदनी में 60 से 70 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।

गर्मी, परीक्षा और तनाव भी बने कारण

प्रो. श्रीवास्तव का मानना है कि भीषण गर्मी, स्कूली परीक्षाएं और भारत-पाक तनाव जैसे कारकों ने भी लोगों को धार्मिक यात्रा से रोका है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि जून के अंतिम सप्ताह में मानसून की शुरुआत के साथ श्रद्धालुओं की संख्या में दोबारा बढ़ोतरी हो सकती है।

राम मंदिर निर्माण के बाद जिस धार्मिक पर्यटन को लेकर बड़े आर्थिक लाभ की उम्मीद थी, वह अब चुनौतीपूर्ण स्थिति में आ गया है। श्रद्धालुओं की घटती संख्या और रुकने की अवधि कम होने से अयोध्या की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ रहा है। आने वाले समय में स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग को नए रणनीतिक उपायों पर विचार करना होगा ताकि रामनगरी की आस्था के साथ-साथ अर्थव्यवस्था भी पुनः संजीवनी पा सके।