भारत ने बांग्लादेशी आयात पर बंदरगाह-प्रतिबंध लगाए: परिधान, प्लास्टिक, प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री अब भूमि सीमा से नहीं आयेंगी

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नई दिल्ली, 17 मई 2025, भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन महानिदेशालय (DGFT) ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर बांग्लादेश से आने वाले चुनिंदा उपभोक्ता-वस्तुओं के भारत-प्रवेश पर कड़े बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए। आदेश के अनुसार अब रेडिमेड गारमेंट्स (RMG) केवल मुंबई-स्थित न्हावा शेवा व कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों के जरिए ही आयात किए जा सकेंगे; किसी भी भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (Land Port/ICP) से इन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

किन-किन वस्तुओं पर रोक?

• रेडिमेड गारमेंट्स — सिर्फ दो समुद्री बंदरगाह; सभी जमीन रास्ते बंद।

• प्लास्टिक सामग्री (खिलौने, घरेलू सामान इत्यादि)

• लकड़ी का फर्नीचर

• कार्बोनेटेड पेय एवं फल-स्वाद पेय

• प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद

• कपास तथा कॉटन यार्न वेस्ट

इन सभी वस्तुओं को मेघालय, असम, त्रिपुरा, मिजोरम तथा पश्चिम बंगाल स्थित 11 Land Customs Stations/Integrated Check Posts—जैसे फुलबाड़ी व चांग्राबांधा—से होकर भारत में लाना अब वर्जित है।

नेपाल-भूटान ट्रांजिट पर छूट

डीजीएफटी ने स्पष्ट किया है कि ये प्रतिबंध उन खेपों पर लागू नहीं होंगे जो बांग्लादेश से आकर भारत के रास्ते नेपाल या भूटान को ट्रांजिट में भेजी जाती हैं।

संभावित असर

• व्यापार संतुलन: वित्त वर्ष 2024-25 में बांग्लादेश का भारत को RMG-निर्यात लगभग $700 मिलियन रहा, जिसके 93 % शिपमेंट भूमि बंदरगाहों से हुए। नई व्यवस्था से इनका बड़ा हिस्सा महंगे समुद्री मार्ग की ओर मुड़ने पर मजबूर होगा।

• परिवहन लागत: कोलकाता/न्हावा शेवा तक कंटेनर भाड़ा पूर्वोत्तर भूमि मार्ग की तुलना में 20-30 % अधिक; निर्यातकर्ताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता घट सकती है।

• सीमा-व्यापारी प्रभावित: त्रिपुरा-अगरतला, असम-करोरहाट जैसे LCS-आधारित व्यापारियों को विविध वस्तुओं में अचानक गिरावट झेलनी पड़ सकती है।

उठाए गए कारण

आधिकारिक कारण बतौर भारत ने “व्यापार सुचारु प्रबंधन एवं चुनिंदा शिपमेंट-रूट्स पर क्षमता नियंत्रण” का हवाला दिया है; हालांकि जानकार इसे दो-तरफा ‘रिसिप्रोकल’ कदम बताते हैं, क्योंकि ढाका ने हाल ही में भारतीय फल एवं सीमेंट आयात पर अनुपालन सख्ती बढ़ाई थी।

बांग्लादेश और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

बांग्लादेशी परिधान-संघ (BGMEA) ने आदेश को “अप्रत्याशित” बताते हुए पुनर्विचार की मांग की। भारतीय आयातक-संघ (FIEO) ने कहा कि अचानक लागू पाबंदियों से मौजूदा एल/सी अनुबंधों पर असर पड़ेगा, अतः ग्रेस पीरियड सुनिश्चित करना चाहिए।

आगे की राह

• उद्योग वार्ता: दोनों देशों के संयुक्त व्यापार-समूह (JTC) की आगामी बैठक जून 2025 में प्रस्तावित है; माना जा रहा है कि प्रतिबंध एजेंडे में शीर्ष पर रहेगा।

• लॉजिस्टिक समायोजन: बंगाल के कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने अतिरिक्त कंटेनर स्लॉट एवं कस्टम स्टाफ तैनात करने की तैयारी शुरू की है।

• नीति-पुनर्मूल्यांकन: विशेषज्ञों के अनुसार यदि बांग्लादेश ने निर्यात-मार्ग विविधीकरण नहीं किया तो निकट-मीयादी शिपमेंट में 10-12 % गिरावट संभव है।