रांची, 17 मई 2025, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं ने शनिवार को राजभवन पहुंच कर झारखंड की राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें बोकारो से निर्दलीय-समर्थित भाजपा विधायक श्वेता सिंह पर नामांकन प्रक्रिया के दौरान तथ्य छिपाने का गंभीर आरोप लगाया गया है। नेताओं ने मांग की है कि प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर विधायकी की वैधता पर पुनर्विचार किया जाए।
ज्ञापन में उठाए गए प्रमुख बिंदु
1. नो-ड्यूज़ प्रमाणपत्र का अभाव आरोप है कि नामांकन पत्र के साथ शासकीय संस्थाओं का कोई बकाया न होने का प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है, परन्तु श्वेता सिंह ने “बकाया नहीं” का उल्लेख करने के बावजूद नो-ड्यूज़ प्रमाणपत्र संलग्न नहीं किया।
2. चार मतदाता पहचान-पत्र
ज्ञापन में कहा गया है कि विधायक के पास अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से जारी चार EPIC नंबर (GPV2611846, GPV9912379, ZUU1677376, OKP027096) हैं, जो जनप्रतिनिधि एक्ट, 1951 की धारा 17 का उल्लंघन हो सकता है।
3. दो स्थायी खाता संख्या (PAN)
शिकायतकर्ताओं के अनुसार श्वेता सिंह ने दो पैन कार्ड (CECPS8218E व CWTPS5392A) दर्शाए, जिनमें एक पैन पर पिता का नाम संग्राम सिंह तथा दूसरे पर दिनेश सिंह अंकित है। ज्ञापन में दावा किया गया है कि संग्राम सिंह, विधायक के पति हैं, जिससे जानबूझकर भ्रम की स्थिति पैदा होने का संदेह है।
4. कथित “जानबूझकर अपराध”
भाजपा प्रतिनिधियों ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि बहु-पहचान पत्र और दो पैन रखने को भारतीय दंड संहिता एवं आयकर अधिनियम के उल्लंघन की श्रेणी में गिना जा सकता है।
अगली कार्रवाई
राज्यपाल ने शिकायत व संलग्न दस्तावेजों को प्रथम दृष्टया संज्ञान में लेते हुए कानूनी राय प्राप्त करने की बात कही है। उधर, विधायक श्वेता सिंह ने फोन पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया और कहा कि “मेरे सभी दस्तावेज चुनाव आयोग के समक्ष जमा और सत्यापित हैं, मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं।”
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि यदि बहु-मतदाता पहचान या गलत पैन उपयोग की पुष्टि होती है, तो संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें चुनाव अयोग्यता के साथ-साथ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है।
विधानसभा सूत्रों के अनुसार, राजभवन से रिपोर्ट मांगते ही निर्वाचन आयोग और आयकर विभाग को उक्त शिकायत की प्रतियां भेजी जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में आने वाले सप्ताहों में मामले की जांच तेज होने की संभावना है।