भारत और पाकिस्तान के बीच चाहे कोई औपचारिक युद्ध न हो, लेकिन हाल की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हालात किसी युद्ध से कम भी नहीं हैं। मिसाइलों, ड्रोनों और तोपों का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि पारंपरिक युद्ध और आधुनिक तकनीक का खतरनाक मिश्रण अब आम हो चला है। खासतौर पर जब नागरिक आबादी को निशाना बनाया जाए, तो यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है। इन हालात में सबसे अहम सवाल यह उठता है। आम लोगों की सुरक्षा के लिए क्या तैयारी है?
बंकर: सुरक्षा की पहली ढाल
सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों की उपयोगिता अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुकी है। बीते वर्षों में जिन गांवों में बंकर बने, वहां कई लोगों की जानें बचाई जा सकीं। बावजूद इसके, जम्मू-कश्मीर के लगभग 50% सीमावर्ती गांवों में आज भी बंकर नहीं हैं। स्थानीय लोगों की मांग स्पष्ट है। हर घर में एक निजी बंकर होना चाहिए, क्योंकि सामुदायिक बंकर न तो पर्याप्त हैं और न ही अधिकांश रहने लायक।
सांबा और नौशेरा की तस्वीर
सांबा जिले में 2,400 बंकरों की योजना थी, जिनमें से 2,000 का निर्माण पूरा हुआ है। शेष निर्माण भूमि के अभाव में अधर में लटका है। नौशेरा जैसे क्षेत्र, जहां 80% भूभाग सीमा से लगा है, वहां तो स्थिति और भी चिंताजनक है। हमलों में कई घर ध्वस्त हो चुके हैं। पूर्व सरपंचों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब हर घर में बंकर अनिवार्य है।
अधूरे निर्माण और तकनीकी खामियां
बंकरों के निर्माण में मानकों की अनदेखी भी एक गंभीर समस्या है। एक आदर्श बंकर की छत एक फुट मोटी होनी चाहिए और उसमें 12 से 14 मिमी के सरिये होने चाहिए। ऊपर की परत को मिट्टी से ढकना अनिवार्य है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकतर बंकर इन मानकों पर खरे नहीं उतरते। कई बंकर अधूरे हैं या उनमें पानी भर जाता है।
बजट और नीति की दरकार
2014 में जब बंकर निर्माण की योजना शुरू हुई थी, तब एक सामुदायिक बंकर के लिए 6 लाख और निजी बंकर के लिए 2.5 लाख रुपये का प्रावधान था। अब जबकि निर्माण सामग्री और मजदूरी दोनों महंगे हो गए हैं, बजट बढ़ाना जरूरी हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बंकरों के लिए नई नीति लाने की बात कही है, साथ ही सभी सीमावर्ती जिलों से बंकर निर्माण के प्रस्ताव मांगे हैं।
सुरक्षा की रणनीति: इज़राइल से सीखने की जरूरत
सेवानिवृत्त कैप्टन बाज सिंह का सुझाव उल्लेखनीय है। वे कहते हैं कि भारत को इज़राइल की तर्ज़ पर सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकर निर्माण के लिए एक विशेष कंपनी गठित करनी चाहिए, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विस्फोटरोधी खिड़कियां, दरवाजे और बमरोधी आश्रय विकसित करे।
बंकर निर्माण का दायरा बढ़ाने की मांग
वर्तमान में बंकरों का निर्माण सीमा से दो किलोमीटर तक सीमित है, जबकि मोर्टार शेल की मारक क्षमता पांच से दस किलोमीटर तक होती है। ग्रामीणों की मांग है कि बंकर निर्माण का दायरा बढ़ाकर 10 किमी किया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा गांवों को सुरक्षा मिल सके।