जस्टिस बी.आर. गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनेंगे। उन्हें यह पद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद सौंपा जा रहा है। कानून मंत्रालय द्वारा 30 अप्रैल को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई थी। सीजेआई खन्ना ने 16 अप्रैल को केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का रहेगा और वे 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस गवई की न्यायिक यात्रा और प्रमुख फैसले

जस्टिस गवई वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। इससे पहले उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिश्नल जज (2003) और बाद में स्थायी जज (2005) के रूप में सेवा दी थी। अपने करियर के दौरान वे कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहे, जिनमें कई ऐतिहासिक फैसले दिए गए।

• नोटबंदी का समर्थन (2016): पांच जजों की संविधान पीठ में शामिल होकर जस्टिस गवई ने 4:1 के बहुमत से सरकार की नोटबंदी नीति को वैध ठहराया।

• इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द: राजनीतिक चंदा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस योजना को असंवैधानिक ठहराया गया।

• अनुच्छेद 370 को बरकरार रखने का निर्णय (2023): जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र के फैसले को संवैधानिक ठहराया गया।

• बुलडोजर कार्रवाई पर रोक (2024): बिना कानूनी प्रक्रिया के संपत्ति ध्वस्तीकरण को असंवैधानिक ठहराते हुए नोटिस और जवाब देने का समय अनिवार्य किया।

• राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई (2022): 30 वर्षों से अधिक जेल में बंद दोषियों की रिहाई का आदेश दिया गया।

• वणियार आरक्षण रद्द (2022): तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को दिया गया आरक्षण असंवैधानिक ठहराया गया।

• ईडी निदेशक के कार्यकाल का विस्तार रद्द (2023): संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को गैरकानूनी बताते हुए समयसीमा तय की गई।

व्यक्तिगत पृष्ठभूमि

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। वे देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं—पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन थे। उनके पिता, आरएस गवई, बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं और एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता भी थे।

जस्टिस गवई की नियुक्ति न केवल न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन की दिशा में भी एक प्रेरक कदम माना जा रहा है।