‘बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है’: मीर यार बलूच ने की स्वतंत्रता की घोषणा, भारत और वैश्विक समुदाय से मांगा समर्थन

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इस्लामाबाद/नई दिल्ली। बलूच नेता मीर यार बलूच ने बुधवार को बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा करते हुए पाकिस्तान पर दशकों से हिंसा, जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि “बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है” और भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस ऐतिहासिक कदम के लिए समर्थन देने की अपील की है।

मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बलूचिस्तान के लोगों ने अपना फैसला सुना दिया है। अब दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए। बलूच सड़कों पर हैं और कह रहे हैं: तुम मारोगे, हम टूटेंगे नहीं। हम अपनी अस्मिता की रक्षा करेंगे।”

उन्होंने भारतीय नागरिकों से विशेष अपील करते हुए कहा कि वे बलूच लोगों को पाकिस्तान का हिस्सा न समझें। मीर यार ने स्पष्ट किया, “हम पाकिस्तानी नहीं हैं, हम बलूच हैं। पाकिस्तान के अपने लोग पंजाबी हैं, जिन्होंने न कभी बमबारी झेली, न जबरन गायब किए जाने का दर्द सहा, न नरसंहार का सामना किया।”

बलूच नेता ने भारत के उस हालिया बयान का समर्थन किया, जिसमें भारत ने 14 मई 2025 को पाकिस्तान से पीओके खाली करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान से तुरंत पीओके खाली कराने की मांग करनी चाहिए, ताकि 1971 के ढाका आत्मसमर्पण जैसी स्थिति दोबारा न बने।

मीर यार बलूच ने कहा, “भारत पाकिस्तानी सेना को हराने में सक्षम है। अगर पाकिस्तान ने समय रहते जवाब नहीं दिया, तो केवल उसके जनरल ही रक्तपात के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे, क्योंकि वे पीओके के नागरिकों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।”

उन्होंने पाकिस्तान पर बलूचिस्तान के अवैध विलय का आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक इस प्रक्रिया का कोई वैध दस्तावेज या अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त साक्ष्य पाकिस्तान पेश नहीं कर पाया है। उन्होंने 27 मार्च 1948 को बलूचिस्तान के पाकिस्तान में शामिल होने को एकतरफा और जबरन कदम बताया।

भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए मीर यार बलूच ने कहा, “एक बार जब हमें संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिल जाएगी, तो हम शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और दीर्घकालिक वैश्विक संबंधों के साथ आगे बढ़ेंगे। हम वैश्विक आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन और गरीबी जैसी चुनौतियों से निपटने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहेंगे।”

बलूचिस्तान की यह घोषणा दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। अब यह देखना होगा कि भारत और वैश्विक शक्तियां इस घटनाक्रम पर क्या रुख अपनाती हैं।