भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के केंद्र में अब नूर खान एयरबेस पर हुआ हमला आ गया है, जिसे लेकर नई और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था। भारत ने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की, और 10 मई को पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर सटीक मिसाइल हमले को अंजाम दिया।
रावलपिंडी में स्थित यह एयरबेस इस्लामाबाद से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है और पाकिस्तान वायुसेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यह स्थान स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन और नेशनल कमांड अथॉरिटी के मुख्यालय के बेहद करीब है, जो पाकिस्तान के लगभग 170 परमाणु हथियारों के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते हैं। भारत ने इस हमले में ब्रह्मोस, हैमर और स्कैल्प जैसी उन्नत मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे एयरबेस का ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
परमाणु खतरे की आहट
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम इस हमले को रोकने में विफल रहा। यह हमला केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था—भारत अब पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील ठिकानों को भी भेद सकता है, यहां तक कि परमाणु कमांड स्ट्रक्चर को भी।
हमले ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अगर मिसाइलों का निशाना कुछ किलोमीटर और सटीक होता, तो परमाणु हथियारों के जखीरे पर सीधा खतरा उत्पन्न हो सकता था। हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि हमले ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को झकझोर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की आपात बैठक बुलाने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया। यह दर्शाता है कि भारत की यह कार्रवाई पाकिस्तान की रणनीतिक सोच पर गहरा असर डाल गई।
सीजफायर का राज और अमेरिकी भूमिका
भारत की इस कार्रवाई के कुछ ही घंटों बाद, 10 मई की शाम को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा हुई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस हमले ने अमेरिका को तुरंत सक्रिय कर दिया, क्योंकि परमाणु संघर्ष का खतरा मंडराने लगा था। पाकिस्तान ने अमेरिका से तत्काल संपर्क साधा और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर व अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच उच्च स्तरीय बातचीत के बाद हालात पर काबू पाया गया।
ट्रंप ने इस सीजफायर को अपनी कूटनीतिक जीत करार दिया, लेकिन एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यदि तुरंत हस्तक्षेप न किया जाता, तो दोनों देश पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ सकते थे।
भारत का कड़ा संदेश
भारत ने सीजफायर को स्वीकार तो किया, लेकिन विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने समझौते का कई बार उल्लंघन किया है, जिसका उचित जवाब भारत दे रहा है। नूर खान एयरबेस पर हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यह एक स्पष्ट और कठोर संदेश था—भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा, चाहे इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े।