भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में तबाह हुआ जैश-ए-मोहम्मद का गढ़, मसूद अजहर ने कहा— “काश मैं भी मर जाता”

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भारत द्वारा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर किए गए निर्णायक सैन्य प्रहार में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। इस हमले ने न केवल आतंक के नेटवर्क को झटका दिया है, बल्कि जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को भी गहरे व्यक्तिगत और मानसिक आघात में डाल दिया है।

ऑपरेशन सिंदूर: लक्ष्य पर सीधा वार

भारतीय सेना ने बुधवार तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर स्थित ‘मरकज़ सुभानअल्लाह’ परिसर पर चार सटीक मिसाइलें दागीं। यह मस्जिद परिसर लंबे समय से जैश-ए-मोहम्मद का संचालनालय और आतंकी गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहा है। यह हमला रणनीतिक रूप से बेहद सटीक और असरदार रहा,पूरी इमारत मलबे में तब्दील हो गई।

मसूद अजहर का कुनबा तबाह, 14 करीबी मारे गए

इंडिया टुडे की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और उसके संगठन से जुड़े 4 प्रमुख आतंकी मारे गए हैं। मारे गए लोगों में अजहर की बड़ी बहन और उसका पति, एक भतीजा और उसकी पत्नी, एक भतीजी और उनके पांच मासूम बच्चे शामिल हैं। साथ ही, जैश से जुड़े चार महत्वपूर्ण आतंकी कमांडर भी मारे गए, जो संगठन की आतंकी गतिविधियों के संचालन में अहम भूमिका निभाते थे।

मसूद अजहर की भावुक प्रतिक्रिया

हमले के कुछ ही घंटे बाद, मसूद अजहर ने एक भावनात्मक बयान जारी किया जिसमें उसने अपने परिवार के खत्म होने की पुष्टि की। अत्यंत टूटे और भावुक स्वर में उसने कहा, “काश मैं भी मर जाता…”। यह पहली बार है जब एक कट्टर आतंकी सरगना ने अपने निजी नुकसान को इस तरह सार्वजनिक रूप से स्वीकारा है।

आतंक का गढ़-अब खंडहर

पाकिस्तानी मीडिया में भी इस हमले की गूंज सुनाई दी। रिपोर्टों के अनुसार, बहावलपुर स्थित यह परिसर जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल हेडक्वार्टर था। यहीं से मसूद अजहर और उसके गुर्गे आतंकी हमलों की योजना बनाते थे। अब यह पूरा क्षेत्र मलबे के ढेर में बदल चुका है।

भारत का कड़ा संदेश

इस सर्जिकल स्ट्राइक ने यह साफ संकेत दिया है कि भारत अब आतंकी ठिकानों और उनके सरगनाओं को सीधे निशाना बनाने में हिचक नहीं रखता। यह कार्रवाई केवल सैन्य सफलता नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति में आए निर्णायक बदलाव का प्रतीक भी है।