रांची के रिम्स अस्पताल में जर्जर इमारतों के बीच मरीजों की जान पर बना रहता है खतरा

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राजधानी रांची स्थित राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) खुद एक गंभीर खतरे में है। पुराने भवन की हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों और उनके परिजनों को हर दिन जान जोखिम में डालकर समय गुजारना पड़ रहा है।

दीवारों में दरारें, छतों से गिरते टुकड़े

रिम्स के पुराने भवन में चारों मंज़िलों की दीवारें दरक चुकी हैं। जगह-जगह गहरी दरारें हैं, जिनसे अंदर तक नमी समा चुकी है। छतों की हालत इतनी खराब है कि सीलन के कारण प्लास्टर झड़ने लगे हैं और हर दिन छोटे-बड़े टुकड़े गिरते रहते हैं। छज्जों की हालत और भी खतरनाक है, जो बिना किसी चेतावनी के गिर सकते हैं।

बिना मरम्मत के जर्जर छज्जों के नीचे घूमते लोग

अस्पताल की पुरानी इमारत के छज्जे रोज़ाना टूटकर गिरते हैं, इसके बावजूद इनके नीचे मरीजों के परिजन कपड़े सुखाते और टहलते नजर आते हैं। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना होती है, तो जान-माल का नुकसान तय है। प्रबंधन द्वारा इस ओर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया है।

ऑर्थोपेडिक वार्ड में पानी की बूंदें टपकती रहती हैं

ग्राउंड फ्लोर पर स्थित ऑर्थोपेडिक विभाग की हालत सबसे चिंताजनक है। यहां हर मौसम में पानी टपकता रहता है, लेकिन बारिश के दिनों में स्थिति और बदतर हो जाती है। लगातार सीलन के कारण मरीजों और स्टाफ दोनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ब्लड बैंक के पास गंभीर खतरा

पुरानी इमारत में प्रवेश करते ही ब्लड बैंक के पास जो छज्जा है, वह पूरी तरह से टूटने की कगार पर है। यहां हर वक्त दर्जनों लोग मौजूद रहते हैं, जिसमें मरीज, उनके परिजन और कर्मचारी शामिल हैं। छज्जा गिरा तो बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

टूटी सीढ़ियां, खतरे की रेलिंग

अस्पताल की सीढ़ियों की हालत भी भयावह है। जर्जर सीमेंट, दरकी हुईं सतहें और टूटती रेलिंग से हर दिन कोई न कोई घायल होता है। कई बार महिलाओं की साड़ियां और लड़कियों के दुपट्टे इन दरारों और लोहे की छड़ों में फंस चुके हैं। स्थिति को देखते हुए जल्द मरम्मत न होने पर बड़ा हादसा संभव है।

मरम्मत के बावजूद नहीं थम रही सीलन

ऑर्थोपेडिक वार्ड में कई बार मरम्मत के प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन पानी का रिसाव नहीं रुका। पूरे भवन की हालत को देखते हुए जरूरी है कि अस्पताल प्रबंधन गंभीरता दिखाए और तत्काल प्रभाव से संरचनात्मक सुधार कराए, ताकि मरीजों और परिजनों की जान खतरे में न रहे।