रांची में संपन्न हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी ने अपनी नई केंद्रीय कार्यकारिणी समिति का गठन कर दिया है। समिति की सूची भी सार्वजनिक कर दी गई है, जिसमें कई नए चेहरों को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं, जबकि कुछ पुराने नेताओं को इस बार बाहर रखा गया है।
पूर्वी सिंहभूम जिले से नेताओं को मिली प्रमुख जिम्मेदारियां:
1. रामदास सोरेन – वर्तमान में झारखंड सरकार में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन को झामुमो की केंद्रीय कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2. कुणाल षाड़ंगी – भाजपा से झामुमो में शामिल होने वाले पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी को पार्टी प्रवक्ता बनाया गया है। भाजपा में भी वे प्रवक्ता की भूमिका निभा चुके हैं, और अब वही जिम्मेदारी झामुमो में संभालेंगे।
3. समीर कुमार मोहंती – बहरागोड़ा विधानसभा सीट से दूसरी बार निर्वाचित विधायक समीर कुमार मोहंती को केंद्रीय सचिव नियुक्त किया गया है।
4. संजीव सरदार – पोटका से दूसरी बार विधायक चुने गए युवा नेता संजीव सरदार को केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
इन नेताओं को नहीं मिली जगह:
1. बारी मुर्मू – पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद की अध्यक्ष और पूर्व भाजपा नेता, जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व झामुमो का दामन थामा था, उन्हें इस बार केंद्रीय समिति में जगह नहीं मिली है।
2. लक्ष्मण टुडू – घाटशिला के पूर्व विधायक और बारी मुर्मू के भाई, जो भाजपा के एसटी मोर्चा में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत रहे हैं, उन्हें भी समिति से बाहर रखा गया है।
3. सरोज महापात्रा – भाजपा के पूर्व ग्रामीण जिलाध्यक्ष, जिन्होंने हाल ही में झामुमो में प्रवेश किया था, वे भी केंद्रीय समिति में स्थान नहीं बना पाए।
4. आदित्य प्रधान – बहरागोड़ा विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी करने वाले और झामुमो की पिछली केंद्रीय समिति में शामिल रहे आदित्य प्रधान को भी इस बार समिति में जगह नहीं मिली।
झामुमो की नई केंद्रीय कार्यकारिणी समिति में अनुभव और युवा नेतृत्व का संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। जहां पुराने और जीतकर आए विधायकों को प्रमुख पदों से नवाजा गया है, वहीं हाल में पार्टी में शामिल हुए कई दिग्गजों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। आने वाले समय में यह देखना रोचक होगा कि ये नई नियुक्तियां पार्टी के चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती में कितनी सहायक सिद्ध होती हैं।