नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को संस्कृति जागरण महोत्सव को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर भारत की ओर से सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा, “देश पर आंख उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। जैसा देश चाहता है, वैसा होकर रहेगा।”
राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली, दृढ़ता और निर्णय क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारत अब कमजोर नहीं रहा है। “आप सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भली-भांति जानते हैं। उनका कार्य के प्रति समर्पण, जोखिम उठाने की क्षमता और निर्णय लेने की दृढ़ता आपसे छिपी नहीं है,” उन्होंने कहा।
पहलगाम आतंकी हमला: देश का सख्त रुख
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दोषियों को सख्त सजा दिलाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही थी।
सरकार ने तत्परता से कठोर कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल समझौते को रद्द करने की प्रक्रिया और बगलिहार बांध से पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकना शामिल है। इसके साथ ही किशनगंगा बांध से झेलम नदी का प्रवाह रोकने की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे पाकिस्तान में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि: रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “एक रक्षा मंत्री के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं सेना के साथ मिलकर देश की सीमाओं की रक्षा करूं। भारत की सशस्त्र सेनाएं हर चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग हैं।”
भारत की शक्ति: सैन्य से संस्कृति तक
सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की शक्ति केवल उसकी सैन्य क्षमता में नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं में भी है। उन्होंने कहा, “यह वही धरती है जहां अर्जुन जैसे योद्धा और भगवान बुद्ध जैसे महायोगी जन्मे। यहां की तलवार भी तपस्या से पवित्र होती है।”
उन्होंने संतों को राष्ट्र की आत्मा का रक्षक बताया और कहा कि संस्कृति और मूल्यों से जुड़े रहने पर ही देश की आत्मा सुरक्षित रह सकती है।
राजनीति में ‘राज’ और ‘नीति’ की पुनर्वापसी का आह्वान
राजनाथ सिंह ने राजनीति के बदलते स्वरूप पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “राजनीति शब्द ‘राज’ और ‘नीति’ से मिलकर बना है, लेकिन आज इसका मूल अर्थ कहीं खो गया है।” उन्होंने जनता और संत समाज से आशीर्वाद मांगते हुए राजनीति को उसकी मूल भावना में लौटाने की बात कही।
अंत में उन्होंने आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित भारत के निर्माण पर बल दिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह भाषण केवल एक कड़ा संदेश ही नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, सांस्कृतिक शक्ति और सुरक्षा नीति की दिशा को भी दर्शाता है।