पत्रकार बरखा दत्त एक बार फिर विवादों के घेरे में, श्रीनगर के लाल चौक में वीडियो शूट को लेकर उठे देशद्रोह के आरोप

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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 28 पर्यटकों की दुखद मृत्यु हुई, के बाद घाटी में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। भारत सरकार ने मीडिया संस्थानों को सलाह दी थी कि सैन्य गतिविधियों की रिपोर्टिंग करते समय विशेष सतर्कता बरती जाए। बावजूद इसके, वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त द्वारा श्रीनगर के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र लाल चौक में वीडियो शूट किए जाने पर भारी विवाद खड़ा हो गया है।

उनकी इस रिपोर्टिंग ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। बड़ी संख्या में उपयोगकर्ता उन्हें राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं।

सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया था कि सैन्य गतिविधियों से जुड़े किसी भी प्रकार की जानकारी को बिना अनुमति प्रसारित न किया जाए। यद्यपि यह परामर्श कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं था, लेकिन उम्मीद की जाती है कि संकटपूर्ण स्थितियों में मीडिया जिम्मेदारी से व्यवहार करेगा।

इन निर्देशों की अवहेलना करते हुए बरखा दत्त को लाल चौक में विजुअल्स रिकॉर्ड करते देखा गया, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। आलोचकों का कहना है कि वह पत्रकारिता की आड़ में राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

इतना ही नहीं, इस घटना के चलते उनके अतीत के कुछ पुराने विवाद फिर से चर्चा में आ गए हैं। विरोधियों का कहना है कि कारगिल युद्ध और 26/11 मुंबई हमलों के समय भी उन्होंने संवेदनशील सूचनाएं उजागर की थीं—हालांकि इन सभी आरोपों से बरखा दत्त हमेशा इनकार करती रही हैं।

एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने तीखा हमला करते हुए कहा, “कश्मीर में सेना की गतिविधियों को शूट करने के लिए बरखा दत्त को दोष मत दो, वह तो वही कर रही हैं जो उन्हें पसंद है – देशद्रोही बनना। असली दोष उन लोगों का है जो यह सब होने देते हैं।”

कई अन्य लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि जब हालात इतने संवेदनशील हैं, तब मीडिया कर्मियों को सैन्य ठिकानों या सुरक्षात्मक क्षेत्रों में जाने की अनुमति क्यों दी जाती है।

फिलहाल बरखा दत्त या उनकी मीडिया टीम की ओर से इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।