जमशेदपुर:शहर की होनहार बेटी शांभवी जायसवाल ने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है। आईसीएसई की 10वीं बोर्ड परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उन्होंने भारत में पहला स्थान हासिल किया है। लोयोला स्कूल, जमशेदपुर की इस मेधावी छात्रा ने केवल सेल्फ स्टडी के बलबूते यह अद्भुत सफलता पाई है, जो पूरे झारखंड ही नहीं, देश के लिए भी गर्व का क्षण है।
परिवार बना प्रेरणा, मां-पिता की भूमिका अहम
शांभवी के पिता डॉ. अभिषेक जायसवाल, मेहर बाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट हैं, वहीं मां डॉ. ओजस्वी शंकर, मणिपाल हॉस्पिटल कॉलेज में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। पढ़ाई के दौरान मां ने शांभवी के हर शंका का समाधान किया और हौसला बढ़ाया।
शांभवी कहती हैं, “मम्मी ने मेरे हर डाउट को आसान बनाया। उनकी वजह से मैं बिना रुके आगे बढ़ती रही।”
मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास की मिसाल
इस ऐतिहासिक सफलता का राज रहा शांभवी की नियमित पढ़ाई, समय का कुशल प्रबंधन और हर विषय की गहरी समझ। उन्होंने बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के खुद पर विश्वास करते हुए निरंतर अभ्यास किया और अपनी कमजोरियों को दूर किया।
यह उपलब्धि बताती है कि अगर लक्ष्य के प्रति समर्पण और लगन हो, तो कोई मंजिल दूर नहीं।
भविष्य की तैयारी और रचनात्मकता में रुचि
शांभवी का सपना कंप्यूटर साइंस इंजीनियर बनना है। इसके साथ ही उन्हें पेंटिंग में भी गहरी रुचि है। पढ़ाई और रचनात्मकता का यह अद्भुत संतुलन उनकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचायक है।
झारखंड को शांभवी पर गर्व
शांभवी की सफलता यह साबित करती है कि छोटे शहरों से भी बड़ी प्रतिभाएं उभर सकती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना सकती हैं। उनका संघर्ष, मेहनत और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
झारखंड और जमशेदपुर के लिए यह गर्व का क्षण है।शांभवी जैसी बेटियां ही देश का उज्ज्वल भविष्य हैं।