नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख—थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह—उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में स्पष्ट रूप से कहा, “आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प है।” उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास जताते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में सेनाओं को पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता (फ्री हैंड) दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित यह बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली, जिसमें घाटी की मौजूदा सुरक्षा स्थिति, आतंकी तत्वों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशनों और भविष्य की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैसरन घाटी में हुआ था अब तक का सबसे बड़ा हमला
22 अप्रैल को दोपहर करीब ढाई बजे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस भयावह हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई, जबकि 17 अन्य लोग घायल हुए। यह हमला हाल के वर्षों में कश्मीर घाटी में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की तलाश के लिए सुरक्षा बलों द्वारा घाटी में जगह-जगह कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।
पाकिस्तान पर बढ़ेगा दबाव
भारत सरकार ने इस हमले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान पर राजनयिक और आर्थिक पाबंदियां लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बेनकाब करने की तैयारी में है। हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने अपनी हरकतें नहीं रोकीं, तो भारत सीधी कार्रवाई से भी पीछे नहीं हटेगा।
प्रधानमंत्री की इस सख्त चेतावनी और हाई लेवल मीटिंग से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि आने वाले दिनों में आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति और भी आक्रामक और निर्णायक होने जा रही है।