एनसीईआरटी ने 7वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में किया बड़ा बदलाव, भारतीय परंपराओं पर रहेगा फोकस

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नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के तहत एनसीईआरटी ने कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की किताब में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब छात्रों को मुगलों का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा। इसके स्थान पर, मगध, मौर्य, शुंग और सातवाहन जैसे प्राचीन भारतीय राजवंशों पर आधारित नए अध्याय जोड़े गए हैं। इन अध्यायों का मुख्य उद्देश्य भारतीय लोकाचार और सांस्कृतिक विरासत को उजागर करना है।

नई किताबों में प्रयागराज में आयोजित होने वाले 2025 महाकुंभ मेले का भी उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न अध्यायों में ‘जनपद’, ‘सम्राज्य’, ‘अधिराज’ और ‘राजाधिराज’ जैसे कई संस्कृत शब्दों को शामिल किया गया है ताकि छात्रों को भारतीय भाषायी परंपरा से भी जोड़ा जा सके।

पहले भी किए जा चुके हैं बदलाव

एनसीईआरटी ने पहले भी इतिहास से जुड़े बदलाव किए थे, जैसे दिल्ली सल्तनत और मुगल सम्राटों के विवरण को सीमित करना। कोविड-19 महामारी के दौरान 2022-23 में पाठ्यक्रम को सरल बनाने की प्रक्रिया के तहत इन अध्यायों को संक्षिप्त किया गया था। अब, नई पुस्तकों में इन सभी पुराने संदर्भों को पूरी तरह से हटा दिया गया है और नए अध्यायों के माध्यम से भारतीयता पर विशेष बल दिया गया है।

नई किताबों का फोकस

‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड (भाग-1)’ नामक यह नई किताब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) और नए एनसीएफ के अनुरूप तैयार की गई है। इसमें यूनानी सभ्यता पर भी एक विस्तृत खंड जोड़ा गया है। इस संशोधित श्रृंखला में अभी कक्षा 4 और 7 के लिए नए संस्करण जारी किए गए हैं, जबकि पार्ट-2 को जल्द ही प्रकाशित किए जाने की योजना है।

एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पार्ट-1 में कुल 12 अध्याय शामिल हैं, जिन्हें शैक्षणिक सत्र के पहले छह महीनों में पढ़ाया जाएगा। पार्ट-2 में और भी विषयों के जोड़े जाने की संभावना है।

भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर आधारित शिक्षा

किताब की प्रस्तावना में एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने लिखा है कि नई पुस्तक छात्रों में उन मूल्यों के विकास पर केंद्रित है जो भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में निहित हैं और वैश्विक दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।