“कोई भी देश 100% सटीक खुफिया जानकारी की गारंटी नहीं दे सकता” — पहलगाम हमले पर थरूर ने किया केंद्र सरकार का बचाव

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्र सरकार का बचाव किया। उन्होंने इसे खुफिया तंत्र की विफलता बताते हुए दुनिया के अन्य उदाहरणों से इसकी तुलना की। थरूर ने कहा कि दुनिया के सबसे मजबूत खुफिया नेटवर्क वाले देश भी कभी-कभी चूक सकते हैं।

उन्होंने कहा, “जाहिर है, पूरी तरह से सटीक खुफिया जानकारी नहीं थी। इसमें कुछ नाकामी रही… लेकिन हमें इज़राइल का उदाहरण देखना चाहिए, जिसे दुनिया की बेहतरीन खुफिया सेवाओं में गिना जाता है। इसके बावजूद 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले ने उन्हें चौंका दिया था।”

थरूर ने आगे कहा, “मेरे विचार में, जैसे इज़राइल युद्ध खत्म होने तक जवाबदेही की मांग का इंतजार कर रहा है, वैसे ही हमें भी मौजूदा संकट को पहले पार करना चाहिए और फिर सरकार से जवाबदेही मांगनी चाहिए। कोई भी देश 100% सटीक खुफिया जानकारी की गारंटी नहीं दे सकता।”

‘कई बार हमलों को सफलतापूर्वक टाला जाता है’

थरूर ने यह भी कहा कि कई बार आतंकी हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं जाता। जब हमला विफल नहीं हो पाता, तभी चर्चा होती है। उन्होंने माना कि कुछ कमियां जरूर रही हैं, लेकिन मौजूदा समय में प्राथमिकता संकट से निपटने की होनी चाहिए, न कि तुरंत दोषारोपण करने की।

हमले में 26 पर्यटकों की मौत

22 अप्रैल को दोपहर करीब 2 बजे पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। साथ ही तीन दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। शांत और खूबसूरत बैसरन घाटी में हुए इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया।

एनआईए कर रही है जांच

हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। 23 अप्रैल से एनआईए की टीमें पहलगाम में मौजूद हैं। जांच टीम में एक आईजी, डीआईजी और एसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं।

एनआईए के अनुसार, “टीमें उन चश्मदीदों से पूछताछ कर रही हैं, जिन्होंने इस हमले को अपनी आंखों से देखा। घटनाओं के क्रम को समझने के लिए गहराई से सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।” इसके अलावा, आतंकी हमलावरों के एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स की भी बारीकी से जांच की जा रही है। फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से पूरे क्षेत्र की गहन तलाशी ली जा रही है ताकि हमले की साजिश का पूरी तरह से खुलासा किया जा सके।

एनआईए इस हमले को कश्मीर में हाल के वर्षों के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक मान रही है।