अटारी-वाघा बॉर्डर बंद, शैतान सिंह की बारात लौटने को मजबूर-चार साल का इंतजार बेकार

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि कई मासूम सपनों को भी चकनाचूर कर दिया। इस हमले के बाद भारत सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया, और इस फैसले का सबसे बड़ा असर राजस्थान के बाड़मेर जिले के युवक शैतान सिंह की शादी पर पड़ा। चार साल पहले पाकिस्तान की केसर कंवर से सगाई कर चुके शैतान सिंह अपनी बारात लेकर बॉर्डर तक पहुंचे थे, लेकिन सीमा बंद होने के कारण उन्हें लौटना पड़ा।

चार साल की मेहनत और इंतजार धरे रह गए

बाड़मेर जिले के इंद्रोई गांव निवासी 25 वर्षीय शैतान सिंह की शादी 30 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट शहर में रहने वाली 21 वर्षीय केसर कंवर से तय हुई थी। चार साल पहले सगाई के बाद से ही परिवार वीजा की मंजूरी के लिए संघर्ष कर रहा था। फरवरी 2025 में आखिरकार शैतान सिंह, उनके पिता और भाई को वीजा मिल गया। घर में खुशी का माहौल था, तैयारियां पूरी थीं। 23 अप्रैल को बारात रवाना हुई और 24 अप्रैल को अटारी-वाघा बॉर्डर पर पहुंची, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सीमा अधिकारियों ने सूचित किया कि पहलगाम हमले के मद्देनज़र सीमा को बंद कर दिया गया है।

“देश पहले, शादी बाद में”- शैतान सिंह का जज़्बा

अपनी निराशा छुपाते हुए शैतान सिंह ने कहा,

“हमने इस दिन के लिए लंबा इंतजार किया था। आतंकियों ने जो किया, वह गलत है। अब शादी में रुकावट आ गई है, लेकिन यह सीमा का मामला है। देश की सुरक्षा पहले है।”

शैतान सिंह के चचेरे भाई सुरेंद्र सिंह ने भी दुख व्यक्त करते हुए बताया कि पाकिस्तान से आए रिश्तेदारों को भी वापस लौटना पड़ा। उन्होंने कहा,

“यह आतंकी हमला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरा आघात दे गया है।”

सीमाओं से बंधे रिश्ते, फिर भी कायम है उम्मीद

गौरतलब है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सोढ़ा राजपूतों की बड़ी आबादी रहती है। इन समुदायों में सांस्कृतिक परंपराओं को बचाए रखने के लिए अक्सर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तय किए जाते हैं। सोढ़ा राजपूतों में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित है, और चूंकि भारत में अधिकतर गोत्र मौजूद हैं, इसलिए विवाह के लिए राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जैसे इलाकों का सहारा लिया जाता है। सिंध और थार के बीच सदियों पुराना ‘रोटी-बेटी’ का संबंध आज भी जीवित है, चाहे दोनों देशों के बीच कितनी भी दूरी क्यों न आ जाए।

अब भी बाकी है आस

हालांकि परिस्थितियां मुश्किल हैं, लेकिन शैतान सिंह ने हार नहीं मानी है। उनके वीजा की वैधता 12 मई 2025 तक है। उन्हें उम्मीद है कि तब तक हालात सामान्य हो जाएंगे और वे अपनी दुल्हन को अपने घर ला सकेंगे।

उनके शब्दों में गूंजती है एक सच्चे देशभक्त की भावना:

“देश पहले, शादी बाद में।”

अब पूरा परिवार और समुदाय बेहतर हालात की प्रार्थना कर रहा है, ताकि शैतान सिंह और केसर कंवर का यह प्रेम और भरोसे से भरा मिलन जल्द साकार हो सके।