राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि “स्वतंत्रता सेनानियों का मज़ाक उड़ाना स्वीकार्य नहीं है”। अदालत ने उन्हें भविष्य में इस प्रकार के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचने की सख्त सलाह दी है।
मामले की पृष्ठभूमि:
17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने वीर सावरकर के संबंध में एक विवादास्पद बयान दिया था, जिस पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लखनऊ के अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने इस बयान को स्वतंत्रता सेनानी का अपमान मानते हुए राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराया।
न्यायिक कार्यवाही:
इस मामले में लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत ने राहुल गांधी के लगातार पेशी से अनुपस्थित रहने के चलते उन्हें ₹200 का जुर्माना लगाया और अदालत में उपस्थित होने की सख्त चेतावनी भी दी। समन के खिलाफ राहुल गांधी ने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया, परंतु वहां उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उन्हें फटकार के साथ यह चेतावनी दी गई कि भविष्य में अगर ऐसी टिप्पणी की गई तो कोर्ट इस पर स्वतः संज्ञान ले सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इस बात का संकेत है कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सार्वजनिक मंचों पर अपने शब्दों को जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ चुनें।