खूंटी: झारखंड के सुदूरवर्ती आदिवासी जिले खूंटी की बेटियों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अगर दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। कालामाटी स्थित प्रधानमंत्री कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की 18 छात्राओं ने जेईई मेन्स 2025 के दूसरे सत्र में सफलता अर्जित की है, जिनमें से 10 छात्राओं ने जेईई एडवांस के लिए क्वालिफाई किया है।
इन प्रतिभाशाली छात्राओं में महिमा कुमारी (84.76 पर्सेंटाइल), दिव्या कुमारी (81.30), सिमरन कुमारी (80.63), ललिता पूर्ति (68.41), सुबोधिनी कुमारी (65.65), चांदू टूटी (64.79), प्रमिला टूटी (57.46), जांबी टूटी (62.64), सुषमा कुमारी (51.09) और अर्चना कुमारी (48.97) शामिल हैं। ये छात्राएं न केवल ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं, बल्कि उन्होंने हिंदी माध्यम और जैक बोर्ड से पढ़ाई करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
संपूर्ण शिक्षा कवच बना सफलता की चाबी
इन छात्राओं की सफलता के पीछे ‘संपूर्ण शिक्षा कवच’ योजना की अहम भूमिका रही है, जिसे जिला प्रशासन द्वारा कस्तूरबा विद्यालय में लागू किया गया है। इस पहल के तहत छात्राओं को मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए डिजिटल संसाधन, अनुभवी शिक्षकों का मार्गदर्शन, मॉडल टेस्ट श्रृंखला और 24×7 अध्ययन के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया गया है।
विद्यालय में बिजली की समस्या के समाधान के लिए जेनरेटर की व्यवस्था की गई है, और ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन क्लासेस की भी सुविधा है, जिससे छात्राएं राष्ट्रीय स्तर के शिक्षकों से पढ़ाई कर सकें।
बेटियों का सपना—एक बेहतर इंजीनियर बनना
इन छात्राओं ने बताया कि जब उन्होंने पढ़ाई शुरू की थी, तब उन्हें जेईई जैसी परीक्षा की जानकारी तक नहीं थी। लेकिन विद्यालय की उत्कृष्ट तैयारी व्यवस्था और शिक्षकों के सहयोग ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। अब उनका सपना है कि वे देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला लेकर एक सफल इंजीनियर बनें।
जिला प्रशासन और विद्यालय परिवार की खुशी
इन बेटियों की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर जिला प्रशासन और विद्यालय प्रबंधन ने खुशी जाहिर की है और उन्हें उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं। यह लगातार चौथा वर्ष है जब पीएम श्री कस्तूरबा गांधी विद्यालय, कालामाटी की छात्राओं ने जेईई मेन्स व एडवांस जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है।
खूंटी की बेटियों ने साबित कर दिया—संघर्ष हो तो सपनों की उड़ान मुमकिन है।