पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में भड़की हिंसा ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई, जबकि कई वाहन जला दिए गए और पुलिस पर भी उपद्रवियों ने पथराव किया। हालात बिगड़ते देख कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। इसके तहत बीएसएफ को मौके पर भेजा गया, जिससे स्थिति पर कुछ हद तक काबू पाया जा सका।
इस घटना के बाद अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन (Article 356) लगाने की मांग की है। उनका तर्क है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है, जिससे संविधान के तहत जरूरी कदम उठाना आवश्यक हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर आज यानी मंगलवार, 22 अप्रैल को सुनवाई कर रहा है। कोर्ट यह तय करेगा कि याचिका पर प्राथमिक दृष्टया कोई संज्ञान लिया जाए या नहीं, और अगर हां, तो मामले की अगली कार्यवाही कैसे आगे बढ़ेगी।
यह मामला न सिर्फ पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिहाज से अहम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब कोई राज्य हिंसा और अराजकता की चपेट में आता है, तो न्यायपालिका की भूमिका कितनी निर्णायक हो जाती है। आने वाले दिनों में कोर्ट का निर्णय इस पर असर डाल सकता है कि क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा या नहीं।