रामगढ़। राधा गोविंद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “संस्कृति – संस्कार के सुपथ” नामक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम को लेकर शनिवार को एक भव्य प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति डॉ. रश्मि, कुलसचिव डॉ. निर्मल कुमार मंडल एवं पुस्तक के लेखक डॉ. संजय प्रसाद सिंह उपस्थित थे। प्रेस को संबोधित करते हुए इन तीनों वक्ताओं ने पुस्तक विमोचन समारोह के महत्व, उद्देश्य और कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की।
डॉ. रश्मि ने कहा, “संस्कृति – संस्कार के सुपथ” पुस्तक का विमोचन हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। आधुनिकता के इस दौर में भी प्राचीन भारतीय संस्कृति व संस्कारों का महत्व बना हुआ है, और यह पुस्तक इन्हीं मूल्यों की सजीव प्रस्तुति है। उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तक न केवल अध्ययन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज को दिशा देने वाली सामग्री से भी परिपूर्ण है।
कुलसचिव डॉ. निर्मल कुमार मंडल ने कहा कि लेखक डॉ. संजय प्रसाद सिंह की यह कृति समाज को एक नई सोच, दिशा और दृष्टिकोण प्रदान करने में सक्षम है। विश्वविद्यालय परिवार इस भव्य कार्यक्रम की तैयारियों में संलग्न है और इसे सफल बनाने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कार्य कर रहा है।
पुस्तक के लेखक डॉ. संजय प्रसाद सिंह ने कहा कि “संस्कृति – संस्कार के सुपथ” का विमोचन मेरे लिए केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरक दस्तावेज सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से मैं भारतीय संस्कृति और संस्कारों की आत्मा को जनमानस तक पहुँचाना चाहता हूँ। उन्होंने रामगढ़ के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, उद्यमियों, व्यापारियों एवं विद्यार्थियों से इस गरिमामयी आयोजन में उपस्थिति की विशेष अपील की।
पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन 21 अप्रैल 2025, दिन सोमवार को प्रातः 11:30 बजे विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में किया जाएगा।
इस अवसर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा मुख्य अतिथि के रूप में, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.एन. साह अध्यक्ष के रूप में तथा चतरा के सांसद कालीचरण सिंह एवं हजारीबाग के पूर्व सांसद डॉ. यदुनाथ पांडे विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे।
इस गरिमामयी अवसर पर इन सभी अतिथियों के कर कमलों से पुस्तक का विमोचन किया जाएगा, जो न केवल लेखक बल्कि सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार एवं जिले के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
कार्यक्रम की भव्यता और गरिमा को देखते हुए यह आयोजन साहित्य, संस्कृति और समाज के संगम का प्रतीक बनकर उभरेगा।