वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार दो हजार रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने पर विचार नहीं कर रही है। शुक्रवार को जारी एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की खबरें पूरी तरह से गलत, भ्रामक और निराधार हैं।
बयान में यह भी बताया गया कि इस संबंध में सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वर्तमान में जीएसटी केवल मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे कुछ विशेष शुल्कों पर ही लागू होता है।
जनवरी 2020 से, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ग्राहक से व्यापारी के बीच यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर समाप्त कर दिया था। चूंकि अब इन लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं है, इसलिए जीएसटी लगाए जाने का सवाल ही नहीं उठता।
सरकार ने यह भी दोहराया कि वह डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यूपीआई लेनदेन में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है—वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक यह आंकड़ा 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।