नर्सिंग घोटाले पर कड़ी कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ सख्त कदम

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भोपाल-मध्यप्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बड़ा एक्शन लिया है। गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के शासकीय नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य राधिका नायर को उनके पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह लीला नलवंशी को नई प्राचार्य नियुक्त किया गया है।

इस घोटाले की जद में आए प्रदेशभर के 70 डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को आरोप-पत्र जारी कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। ये सभी वे अधिकारी और कर्मचारी हैं जो नर्सिंग कॉलेजों के सत्यापन दलों में शामिल थे। इन लोगों ने कई ऐसे कॉलेजों को ‘सूटेबल’ बताया, जो जांच में मापदंडों पर खरे नहीं उतरे। हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट में इन कॉलेजों को ‘अनसूटेबल’ घोषित किया गया।

CBI जांच में भी उठा था सवाल

मई 2024 में सीबीआई ने प्रदेश के 169 अनसूटेबल नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की सिफारिश की थी। इनमें से कई कॉलेजों के पास न खुद की बिल्डिंग थी, न ही लैब या अस्पताल। बाद में हाईकोर्ट ने इस जांच पर सवाल खड़े करते हुए पुनः जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद सरकार ने 66 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी।

राजनीतिक आरोप और आंदोलन की चेतावनी

एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने सरकार पर आरोप लगाया है कि कुछ दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले 110 लोगों को नोटिस दिए गए थे, पर अब केवल 70 पर ही कार्रवाई की गई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों को सजा नहीं दी गई तो एनएसयूआई पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी।

नर्सिंग घोटाले में यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना अहम होगा कि विभागीय जांच कितनी निष्पक्ष होती है और दोषियों को वास्तव में सजा मिलती है या नहीं।