जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई होंगे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश

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भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति गवई 14 मई 2025 को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस गवई का न्यायिक सफर

भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में सेवाएं दीं। इसके बाद अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक वे बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे। जनवरी 2000 में उन्हें सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

12 नवंबर 2005 को वे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में भूमिका निभाई, जिनमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति को बरकरार रखने, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने और अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण को संवैधानिक मानने जैसे निर्णय शामिल हैं।

सीजेआई के रूप में कार्यकाल और प्रमुख भूमिकाएं

जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग छह महीनों का होगा क्योंकि वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। इतने कम समय में भी वे न्यायपालिका के कई अहम मामलों में निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने उस संविधान पीठ का नेतृत्व किया जिसने बिना उचित ‘कारण बताओ’ नोटिस दिए संपत्ति को ध्वस्त किए जाने पर रोक लगाई। साथ ही, वह उन मामलों की सुनवाई कर रहे हैं जो वन, वन्यजीव और वृक्षों के संरक्षण से जुड़े हैं।

जस्टिस गवई देश के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे जो भारत के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका में अनुभव, संवेदनशीलता और विविधता को नया आयाम मिलेगा।