नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस अहम मुद्दे पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ 10 से अधिक याचिकाओं पर विचार करेगी।
कौन-कौन हैं वक्फ कानून के खिलाफ?
वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में प्रमुख रूप से एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज झा शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और अभिनेता से नेता बने विजय की तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार की प्रतिक्रिया और ‘कैविएट’
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को अदालत में ‘कैविएट’ दायर की, ताकि याचिकाओं पर कोई आदेश पारित करने से पहले सरकार को सुना जाए। ‘कैविएट’ एक ऐसा अनुरोध होता है जिससे अदालत बिना संबंधित पक्ष को सुने कोई आदेश पारित न करे।
विधायिका बनाम न्यायपालिका: रिजिजू का बयान
सुनवाई से पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मुझे भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामलों में दखल नहीं देगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।” रिजिजू ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “वक्फ कानून बंगाल में लागू नहीं होगा।” इस पर रिजिजू ने सवाल उठाया कि “क्या उनके पास संवैधानिक और नैतिक अधिकार है ऐसा कहने का?”
क्या है याचिकाओं की मुख्य आपत्ति?
कई याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संशोधित वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव न करना), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), 25-26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 29-30 (अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार) और 300-ए (संपत्ति के अधिकार) का उल्लंघन करता है।
सरकार का पक्ष क्या है?
सरकार का कहना है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है। इससे वक्फ संपत्तियों का कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा और समुदाय को अधिक लाभ मिलेगा।
लोकसभा और राज्यसभा में बिल को मिला था समर्थन
वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 132 सांसदों का समर्थन मिला था। हालांकि, विरोध में भी बड़ी संख्या में वोट पड़े—लोकसभा में 232 और राज्यसभा में 95।
अब यह देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।