जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि, पीढ़ियां याद रखेंगी : पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैसाखी के अवसर पर जलियांवाला बाग के शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस भीषण नरसंहार को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ बताया और कहा कि यह हमारे इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे आने वाली पीढ़ियां कभी नहीं भूलेंगी।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दो पोस्ट साझा किए। पहले पोस्ट में उन्होंने देशवासियों को बैसाखी की शुभकामनाएं दीं, जबकि दूसरे में 13 अप्रैल 1919 की उस विभीषिका को याद किया जब निहत्थे और मासूम लोगों पर अंग्रेज अफसर ने बेरहमी से गोलियां चलवाई थीं।

प्रधानमंत्री ने लिखा, “हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। आने वाली पीढ़ियां उनके अदम्य साहस को हमेशा याद रखेंगी। यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।”

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जलियांवाला बाग नरसंहार को याद करते हुए उसे ब्रिटिश शासन की अमानवीयता की पराकाष्ठा बताया। उन्होंने लिखा कि यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की सबसे भयावह मिसाल थी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हम सिर झुकाकर नमन करते हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उन निःशस्त्र स्वाधीनता सेनानियों की देशभक्ति, साहस, समर्पण, त्याग और निःस्वार्थ बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।”

इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन, जब अमृतसर के जलियांवाला बाग में रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण सभा हो रही थी, अंग्रेज अधिकारी जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने बिना चेतावनी दिए 90 सिपाहियों को गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। उस दिन वहां बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और आम नागरिक मेले में शामिल होने आए थे। इस बर्बरता में सैकड़ों निर्दोषों की जान चली गई।

जनरल डायर का यह अमानवीय आदेश न सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत की क्रूर मानसिकता का प्रतीक बना, बल्कि इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा और दिशा दी। इस हत्याकांड ने देशभर में आक्रोश की लहर पैदा की और स्वतंत्रता की लड़ाई को और अधिक तीव्र किया।