तहव्वुर राणा का पैंतरा फेल, भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ

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26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने की राह अब और अधिक स्पष्ट हो गई है। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने राणा की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उसने अपने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। इस फैसले के बाद भारत को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है।

क्या है मामला?

तहव्वुर राणा, एक कनाडाई नागरिक है जो वर्तमान में अमेरिका के लॉस एंजिलिस स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। राणा पर आरोप है कि उसने 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राणा का नाम इस हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली के साथ जुड़ा हुआ है, जो पहले ही अपना अपराध स्वीकार कर चुका है।

अमेरिकी न्यायालयों में कानूनी लड़ाई

राणा ने 27 फरवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जज एलेना कागन के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन प्रस्तुत किया था। यह आवेदन एक “बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने” की मांग कर रहा था, ताकि उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया रोकी जा सके। हालांकि, जस्टिस कागन ने पहले ही इस आवेदन को खारिज कर दिया था।

नया प्रयास, फिर असफलता

कागन द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के बाद राणा ने अपने इस आवेदन को फिर से प्रस्तुत करते हुए अनुरोध किया कि इसे प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, राणा के इस रिन्यूड आवेदन को 4 अप्रैल 2025 की कोर्ट बैठक के लिए सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन सोमवार को आई वेबसाइट पर नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया कि “कोर्ट ने आवेदन अस्वीकार कर दिया है।”

भारत के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?

इस फैसले के बाद अब तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की राह लगभग साफ हो गई है। भारत लंबे समय से उसकी वापसी की मांग कर रहा था ताकि वह यहां कानून के तहत सजा पा सके। यह फैसला न सिर्फ भारत की न्याय प्रणाली की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग का भी संकेत है।

अब निगाहें अमेरिकी प्रशासन पर टिकी हैं, जो भारत के अनुरोध पर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर तहव्वुर राणा को जल्द भारत भेज सकता है।