बिहार की राजनीति में ‘सिंघम’ की एंट्री: नीतीश, तेजस्वी और चिराग के लिए नई चुनौती

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इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी जन सुराज पार्टी के जरिए मैदान में उतर चुके हैं। इसी बीच एक और नया चेहरा चर्चा में है—पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे, जिन्हें ‘सिंघम’ के नाम से जाना जाता है। उनकी राजनीति में एंट्री ने बिहार की चुनावी फिजा को और रोमांचक बना दिया है।

नई चुनौती के रूप में उभरे लांडे

शिवदीप लांडे की पहचान एक दबंग, ईमानदार और बेखौफ पुलिस अधिकारी के रूप में रही है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाए, जिससे वे खासतौर पर युवाओं और शहरी मध्यम वर्ग में बेहद लोकप्रिय हो गए। अब जब उन्होंने राजनीति में आने का ऐलान किया है, तो यह तय माना जा रहा है कि उनकी उपस्थिति नीतीश, तेजस्वी और चिराग जैसे दिग्गज नेताओं के लिए नई चुनौती बन सकती है।

वोटों का समीकरण बिगाड़ने की क्षमता

लांडे की जबरदस्त सोशल मीडिया फॉलोइंग और समाज सुधार को लेकर उनकी सक्रियता उन्हें एक अलग पहचान देती है। वे लगातार नशामुक्ति, शिक्षा सुधार और युवाओं के विकास जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं। अगर वे किसी राजनीतिक दल से जुड़ते हैं या अपनी खुद की पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो यह कई सीटों पर वोटों का समीकरण बिगाड़ सकता है। विशेषकर शहरी इलाकों और पहली बार मतदान करने वाले युवाओं पर उनका प्रभाव देखने लायक होगा।

‘एक्शन हीरो’ की छवि का असर

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लांडे की ‘एक्शन हीरो’ जैसी छवि लोगों को एक साफ-सुथरी, परिवर्तनकारी राजनीति की उम्मीद देती है। यह परंपरागत दलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, जो जातीय समीकरणों और पुराने ढर्रे की राजनीति पर निर्भर हैं। शिवदीप लांडे की एंट्री से यह साफ हो गया है कि इस बार का चुनाव केवल पुराने चेहरों और पुराने मुद्दों के इर्द-गिर्द नहीं घूमेगा।

कौन हैं शिवदीप लांडे?

शिवदीप लांडे 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने 19 सितंबर 2023 को अपने पद से इस्तीफा दिया था। उस समय वे पूर्णिया रेंज के आईजी के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2025 में राष्ट्रपति द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया। लांडे का कहना है कि वे बिहार की दशा और दिशा बदलना चाहते हैं, और इसी उद्देश्य से उन्होंने खाकी वर्दी छोड़ राजनीति का रास्ता चुना है।

शिवदीप लांडे की राजनीति में सक्रिय भागीदारी ने बिहार की सियासी ज़मीन को नया मोड़ दे दिया है। उनकी छवि, लोकप्रियता और सामाजिक सरोकारों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि वे आने वाले चुनाव में किंगमेकर बन सकते हैं या खुद किंग बनने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।