नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के राज्यसभा से पारित होने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस बीच बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने सोशल मीडिया के माध्यम से खुलासा किया कि उन्हें वक्फ बिल का समर्थन करने पर धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि वे किसी भी धमकी से डरने वाले नहीं हैं और सरकार का पक्ष मजबूती से रखते रहेंगे।
शाहनवाज हुसैन ने दिया स्पष्ट संदेश
शाहनवाज हुसैन ने कहा, “मुझे ढेर सारी धमकियां मिल रही हैं क्योंकि मैंने वक्फ बिल का समर्थन किया है और सरकार का पक्ष रखा है। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। गालियों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।” उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हर व्यक्ति को अपनी राय रखने का अधिकार है और वे इसी अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं।
चिराग पासवान ने विपक्ष पर लगाया भ्रम फैलाने का आरोप
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने विपक्ष पर वक्फ बिल को लेकर जनता में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “विपक्ष का काम सिर्फ अफवाह फैलाना रह गया है। सीएए के वक्त भी यही किया गया था, लेकिन वक्त के साथ सच्चाई सामने आ गई।” उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष झूठ फैलाकर मुस्लिम समुदाय को डराने की कोशिश कर रहा है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 – क्या है खास
वक्फ विधेयक को शुक्रवार को राज्यसभा में 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित किया गया। इसके पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि 95 सांसदों ने विरोध में मतदान किया। इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में यह विधेयक 288 सांसदों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि 232 ने विरोध किया। अब इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
किरन रिजिजू ने क्या कहा?
राज्यसभा में बहस के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक व्यापक सुझावों के आधार पर संशोधित किया गया है। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसलिए इसमें धर्मनिरपेक्षता बनी रहनी चाहिए। इसीलिए इसमें 22 सदस्यों में से चार गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है।
रिजिजू ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा से अलग रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “60 साल तक कांग्रेस और अन्य दलों ने सत्ता में रहते हुए मुसलमानों के लिए कुछ खास नहीं किया। आज भी समुदाय गरीबी से जूझ रहा है।”
वक्फ बिल को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। जहां एक ओर सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहा है। लेकिन शाहनवाज हुसैन जैसे नेता धमकियों के बावजूद अपने रुख पर अडिग हैं।