इतिहास विभाग ने विद्यार्थियों को ऐतिहासिक शैक्षणिक भ्रमण कराया

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राधा गोविंद विश्वविद्यालय, रामगढ़ के इतिहास विभाग ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए एक विशेष ऐतिहासिक शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया। इस दौरान विद्यार्थियों को झारखंड के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों – इटखोरी (चतरा) और पद्मा किला – का अवलोकन कराया गया। इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य झारखंड के समृद्ध ऐतिहासिक स्थलों को उजागर करना और नई पीढ़ी को इनके महत्व से अवगत कराना था ताकि इन धरोहरों को संरक्षित किया जा सके।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी. एन. साह ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा, “इटखोरी और पद्मा किला झारखंड की अमूल्य धरोहर हैं, जो इतिहास को एक नई दिशा प्रदान करती हैं। ऐसे शैक्षणिक भ्रमण विद्यार्थियों को इतिहास को नजदीक से जानने का अवसर प्रदान करते हैं।”

संस्था की सचिव प्रियंका कुमारी ने इस भ्रमण को विद्यार्थियों के लिए “यादगार और ज्ञानवर्धक” बताते हुए कहा कि यह पहल उनके अकादमिक विकास में सहायक होगी।

विश्वविद्यालय की प्रति-कुलपति डॉ. रश्मि ने भी छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा, “यह भ्रमण विद्यार्थियों को झारखंड के ऐतिहासिक स्थलों की समृद्ध विरासत से परिचित कराएगा और क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक होगा।”

विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम कुमारी ने इटखोरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, “इटखोरी हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों का संगम स्थल रहा है। यहां स्थित संग्रहालय में बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में अंकित कृतियां, शीतलनाथ के पैरों के चिन्हों की दुर्लभ कृतियां, वामन अवतार की मूर्तियां, नगर शैली के मंदिर और स्तूप की आकृतियां जैसी अनेक पुरातात्विक धरोहरें मौजूद हैं। ये साक्ष्य इतिहास लेखन को एक नई दिशा देंगे।”

शैक्षणिक भ्रमण की समन्वयक सहायक अध्यापिका डॉ. ममता ने विद्यार्थियों को इटखोरी और पद्मा किला के ऐतिहासिक संदर्भों से परिचित कराया, जिससे उनका ज्ञानवर्धन हुआ।

इस महत्वपूर्ण यात्रा के सफल आयोजन पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निर्मल कुमार मंडल, वित्त एवं लेखा पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार, तथा प्रबंध समिति के सदस्य अजय कुमार ने विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

यह शैक्षणिक भ्रमण विद्यार्थियों के लिए न केवल एक रोमांचक अनुभव रहा, बल्कि उन्हें झारखंड के ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को समझने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान किया।