“मुझे मारने की कोशिश की गई” – ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में अपने भाषण के दौरान भारी विरोध का सामना करना पड़ा। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया-यूके (SFI-UK) के छात्र नेताओं ने उनके खिलाफ ‘गो बैक’ के नारे लगाए और आरजी कर मेडिकल कॉलेज से जुड़े विवादित मुद्दों पर तीखे सवाल पूछे। इस हंगामे के बीच ममता बनर्जी ने कहा, “आप मेरा नहीं, अपने संस्थान का अपमान कर रहे हैं।”
हंगामे की वजह
27 मार्च 2025 को ममता बनर्जी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण दे रही थीं, जब SFI-UK के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर भ्रष्टाचार और अलोकतांत्रिक शासन के आरोप लगाए। उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर केस, संदेशखली हिंसा और चुनाव बाद की हिंसा जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए।
एक दर्शक ने ममता से बंगाल में आए निवेश के प्रस्तावों की जानकारी मांगी, जिसे मंच पर मौजूद कुछ लोगों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसा सवाल बताते हुए टाल दिया।
विरोध प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए SFI-UK ने फेसबुक पोस्ट में कहा, “हम पश्चिम बंगाल के छात्रों और श्रमिक वर्ग के समर्थन में ममता बनर्जी और TMC के भ्रष्ट शासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।”
“दीदी नहीं झुकेगी”
हंगामे के दौरान ममता बनर्जी ने भीड़ को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा,
“यह मामला अदालत में और केंद्र सरकार के पास है। यह मंच राजनीति के लिए नहीं है। आप झूठ बोल रहे हैं, इसे राजनीतिक मंच मत बनाइए। बंगाल जाइए और अपनी पार्टी को मजबूत कीजिए।”
उन्होंने एक तस्वीर दिखाते हुए दावा किया कि उनकी हत्या की कोशिश की गई थी। जब कुछ दर्शकों ने ‘गो अवे’ के नारे लगाए, तो ममता ने जवाब दिया,
“दीदी को कोई फर्क नहीं पड़ता। दीदी साल में दो बार आएगी और रॉयल बंगाल टाइगर्स की तरह लड़ेगी। अगर आप कहेंगे तो मैं आपके कपड़े धो दूंगी, खाना बना दूंगी। लेकिन कोई मुझे झुकाने की कोशिश करेगा, तो मैं नहीं झुकूंगी। मैं केवल जनता के सामने सिर झुकाऊंगी।”
हंगामे से ऐतिहासिक क्षण पर विवाद
यह पहली बार था जब किसी भारतीय मुख्यमंत्री ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण दिया, लेकिन यह ऐतिहासिक अवसर विरोध प्रदर्शन के कारण विवादास्पद बन गया।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर केस (2024) पश्चिम बंगाल में एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस केस में एक डॉक्टर की हत्या के बाद TMC सरकार पर मामले को दबाने और दोषियों को बचाने के आरोप लगे थे।
इसके अलावा, संदेशखली हिंसा और चुनाव बाद की हिंसा ने भी TMC की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
यह घटना ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की कार्यशैली पर नए सवाल खड़े कर रही है।