चार साल बाद भारत दौरे पर आ रहे पुतिन: रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की उम्मीद, बड़ा फैसला संभव

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चार साल बाद भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी। इस दौरे को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, जिसकी पुष्टि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को की। लावरोव ने कहा, “राष्ट्रपति पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है, और इस यात्रा की तैयारियां चल रही हैं।” हालांकि, अभी यात्रा की तारीख का खुलासा नहीं किया गया है।

पुतिन को मोदी का निमंत्रण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल रूस यात्रा के दौरान पुतिन को भारत आने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। यह दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि इसे रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे, साथ ही युद्ध को लेकर कोई बड़ा फैसला भी सामने आ सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की उम्मीद

इस दौरे के दौरान पीएम मोदी और पुतिन के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। इनमें रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक स्थिति में आए बदलाव और अन्य अंतरराष्ट्रीय मसले शामिल हैं। भारत ने यूक्रेन युद्ध को लेकर हमेशा तटस्थ रुख अपनाया है और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्तावों पर वोटिंग से परहेज किया है। पीएम मोदी ने पुतिन से स्पष्ट कहा था, “युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है।”

मोदी का रूस और यूक्रेन दौरा

पिछले साल पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों की यात्रा की थी। उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और शांति का संदेश दिया। इसके अलावा, अक्टूबर में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स समिट में भी मोदी ने पुतिन से मुलाकात की थी। अब पुतिन का भारत दौरा दोनों देशों के रिश्तों को नई मजबूती दे सकता है और युद्ध के प्रभावों को कम करने की दिशा में बातचीत का रास्ता खोल सकता है।

2021 में आए थे पुतिन

पुतिन आखिरी बार 2021 में भारत आए थे। उस दौरान उनकी यात्रा केवल चार घंटे की थी, लेकिन इस संक्षिप्त दौरे में भारत और रूस के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। इनमें सैन्य और तकनीकी सहयोग से जुड़े अहम करार भी शामिल थे। अब चार साल बाद उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करने की उम्मीद जगा रही है।

वैश्विक नजरें इस मुलाकात पर

पुतिन का यह दौरा न केवल भारत-रूस संबंधों के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी अहम है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की तटस्थता और मध्यस्थता की संभावना इस मुलाकात को और महत्वपूर्ण बनाती है। क्या यह दौरा युद्ध के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा? यह सवाल हर किसी के मन में है, और दुनिया की नजरें अब इस ऐतिहासिक मुलाकात पर टिकी हैं।