बिहार इस साल विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने की रणनीति बना रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब बिहार की ‘जीविका दीदी’ सहकारी चुनाव में मतदान कर सकेंगी।
नीतीश सरकार का बड़ा दांव
एनडीए सरकार ने चुनाव से पहले एक अहम फैसला लेते हुए जीविका दीदियों को एक महत्वपूर्ण तोहफा दिया है। राज्य सरकार जीविका दीदियों के लिए एक राज्य स्तरीय वित्तीय संस्थान का गठन करेगी, जो उन्हें ऋण (लोन) प्रदान करेगा। इस कदम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का “मास्टर स्ट्रोक” माना जा रहा है, जिससे उन्होंने महिला वोटरों के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत कर लिया है।
सहकारी समितियों में जीविका दीदियों की भागीदारी
बिहार विधानसभा में मंगलवार को “बिहार सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक, 2025” पारित कर दिया गया। इस विधेयक के तहत:
✅ सरकार जीविका दीदियों के लिए फंड बनाएगी।
✅ जीविका दीदियों को राज्य की सहकारी समितियों में सदस्यता मिलेगी।
✅ अब सहकारी चुनावों में जीविका दीदियां वोट डाल सकेंगी।
1.35 करोड़ जीविका दीदियों को सीधा लाभ
बिहार में कुल 1.35 करोड़ जीविका दीदियां हैं, जो 10 लाख 63 हजार जीविका स्वावलंबी समितियों से जुड़ी हुई हैं। ये महिलाएं विधानसभा और लोकसभा चुनावों में नीतीश कुमार के लिए ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभाती हैं। इस नए फैसले से उनके बीच सरकार की पकड़ और मजबूत होगी।
नीतीश कुमार का यह कदम निश्चित रूप से आगामी चुनावों में महिला वोट बैंक को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा।