कर्नाटक की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब विधानसभा अध्यक्ष यू.टी. खादर ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया। इन विधायकों पर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने और ‘हनी ट्रैप’ मामले को लेकर हंगामा करने का आरोप है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में कर्नाटक की राजनीति में ‘हनी ट्रैप’ का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में खुलासा किया कि 48 से अधिक नेताओं, विधायकों और यहां तक कि कुछ केंद्रीय नेताओं को भी हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी।
इस खुलासे के बाद विपक्षी दल बीजेपी ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की। बीजेपी विधायकों ने सदन के भीतर जोरदार प्रदर्शन किया और सदन की कार्यवाही बाधित की। उन्होंने इस मामले की हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की मांग रखी।
कैसे बढ़ा विवाद?
शुक्रवार को विधानसभा में बीजेपी विधायकों ने वेल के पास जाकर कागज फाड़े और नारेबाजी शुरू कर दी। सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष ने कड़ा कदम उठाते हुए 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित करने का विधेयक पारित कराया।
यह विधेयक कर्नाटक सरकार के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने पेश किया। कांग्रेस सरकार का कहना है कि विपक्ष सदन में अनुशासनहीनता कर रहा था, जिसके कारण यह कार्रवाई जरूरी हो गई।
क्या है ‘हनी ट्रैप’ मामला?
कर्नाटक में हाल ही में एक हाई-प्रोफाइल हनी ट्रैप मामला सामने आया है, जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना के दावे के मुताबिक, कई बड़े नेता इस जाल में फंसने से बाल-बाल बचे, जबकि कुछ नेता इसमें उलझ चुके हैं।
इस खुलासे के बाद से ही राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। बीजेपी इस मामले में स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस सरकार का कहना है कि मामले की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है।
निलंबन के बाद की राजनीति
बीजेपी ने इस फैसले को तानाशाही करार दिया है और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। बीजेपी का कहना है कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, कांग्रेस सरकार का दावा है कि सदन में अनुशासन बनाए रखना जरूरी था, इसलिए यह फैसला लिया गया।
अब देखने वाली बात होगी कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है और क्या बीजेपी निलंबन के खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाती है या नहीं।