जस्टिस जॉयमाला बागची: सुप्रीम कोर्ट की 33वीं न्यायाधीश, 2031 में संभालेंगी CJI का पद

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भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने कलकत्ता हाई कोर्ट की जज जॉयमाला बागची को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। यह शपथ ग्रहण समारोह सर्वोच्च न्यायालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित रहे। न्यायमूर्ति बागची के नियुक्ति के साथ ही अब सर्वोच्च न्यायालय में कुल 33 न्यायाधीश हो गए हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 34 है, जिससे अभी भी एक पद रिक्त है।

न्यायमूर्ति बागची का कार्यकाल और CJI के रूप में पदभार

न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची का कार्यकाल छह वर्ष से अधिक रहेगा, जिसके दौरान वे भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) का पद भी संभालेंगी। न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन के सेवानिवृत्त होने के बाद, 25 मई 2031 को वे CJI का पदभार ग्रहण करेंगी और लगभग पाँच महीने तक इस पद पर बनी रहेंगी।

न्यायमूर्ति बागची की नियुक्ति प्रक्रिया

भारत सरकार ने 10 मार्च 2025 को जस्टिस जॉयमाला बागची को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की। इससे पहले, 6 मार्च 2025 को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी। इस कॉलेजियम में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ शामिल थे।

कॉलेजियम की सिफारिश का आधार

कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में उल्लेख किया कि 18 जुलाई 2013 को पूर्व CJI न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर की सेवानिवृत्ति के बाद से कलकत्ता हाई कोर्ट से कोई भी न्यायाधीश भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद तक नहीं पहुंचा था। जस्टिस जॉयमाला बागची को 27 जून 2011 को कलकत्ता हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। 4 जनवरी 2021 को उनका स्थानांतरण आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में कर दिया गया था, जहां उन्होंने कुछ समय तक कार्य किया। हालांकि, 8 नवंबर 2021 को वे दोबारा कलकत्ता हाई कोर्ट में वापस आ गईं और तब से वहीं कार्यरत थीं।

13 वर्षों से अधिक का अनुभव

न्यायमूर्ति बागची ने कलकत्ता हाई कोर्ट में 13 वर्षों से अधिक समय तक न्यायिक कार्य किया है। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और न्यायिक प्रक्रिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके अनुभव और कानूनी दक्षता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी और उनके अनुभव तथा योग्यता से न्यायपालिका को नया दृष्टिकोण मिलेगा।