बिना फंडिंग के बनी देश की सबसे बड़ी शू कंपनी: हरि कृष्ण अग्रवाल की सफलता की कहानी

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कैंपस एक्टिववियर भारत की सबसे बड़ी शू कंपनी है, जिसे दिल्ली के उद्यमी हरि कृष्ण अग्रवाल ने शुरू किया था। यह कंपनी आज नाइकी, एडिडास और प्यूमा जैसे बड़े विदेशी ब्रांड्स को पीछे छोड़ चुकी है। कंपनी के पास 20,000 से ज्यादा रिटेल आउटलेट्स और 35 से अधिक एक्सक्लूसिव स्टोर्स हैं। भारत में इसके 5 बड़े कारखाने हैं और यह कई देशों में अपने जूते एक्सपोर्ट करती है। हर साल कंपनी 1.5 करोड़ जोड़ी जूते बेचती है।

हरि कृष्ण अग्रवाल: संघर्ष से सफलता तक

हरि कृष्ण अग्रवाल पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं, जिन्हें व्यापार विरासत में नहीं मिला। एक मिडिल क्लास परिवार से आने के कारण उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा। मात्र 18 साल की उम्र में उन्होंने छोटे-मोटे व्यवसायों में हाथ आजमाना शुरू किया।

कैसे शुरू हुआ बिजनेस?

साल 1983 में उन्होंने ‘एक्शन’ ब्रांड के तहत स्पोर्ट्स शूज का बिजनेस शुरू किया। उनके पास कोई फंडिंग नहीं थी, इसलिए उन्होंने दोस्तों और परिवार से पैसे उधार लेकर अपने सपनों को साकार किया।

विदेशी कंपनियों को दी कड़ी टक्कर

साल 1991 में भारतीय बाजार विदेशी कंपनियों के लिए खुला, और नाइकी, एडिडास, प्यूमा जैसी दिग्गज कंपनियां भारत आईं। लेकिन इनके महंगे जूते आम भारतीयों की पहुंच से बाहर थे। हरि कृष्ण अग्रवाल ने इस अवसर को पहचाना और साल 2005 में कैंपस शूज की शुरुआत की।

उन्होंने अपने जूतों को विदेशी ब्रांड्स के बराबर क्वालिटी का बनाया, लेकिन कीमत काफी कम रखी। नतीजतन, पहले ही साल में कंपनी ने करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया। आज, 1000 रुपये से कम कीमत वाले जूतों के बाजार में 48% हिस्सेदारी कैंपस की है।

आईपीओ से बढ़ी संपत्ति

साल 2022 में कैंपस एक्टिववियर ने अपना IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) लॉन्च किया। इसके शेयर लिस्ट होते ही 23% प्रीमियम पर ट्रेड करने लगे। फोर्ब्स के अनुसार, हरि कृष्ण अग्रवाल की नेटवर्थ 1.1 अरब डॉलर हो गई।

इंटरनेशनल मार्केट में धमाकेदार एंट्री

साल 2023 में कैंपस ने अपने बिजनेस को इंडोनेशिया और मलेशिया में फैलाया, जिससे यह एक ग्लोबल ब्रांड बनने की राह पर है।

नई पीढ़ी संभाल रही कमान

हरि कृष्ण अग्रवाल के बेटे निखिल अग्रवाल, जो एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं, अब कंपनी के सीईओ हैं और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।

इच्छाशक्ति और मेहनत हो तो

हरि कृष्ण अग्रवाल की कहानी बताती है कि अगर इच्छाशक्ति और मेहनत हो तो बिना किसी फंडिंग के भी एक सफल बिजनेस खड़ा किया जा सकता है। उनकी दूरदर्शिता, समझदारी और कड़ी मेहनत ने उन्हें भारत की सबसे बड़ी शू कंपनी का मालिक बना दिया।