मानहानि केस में राहुल गांधी ने झारखंड हाईकोर्ट से वापस ली राहत याचिका

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झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी राहत याचिका वापस ले ली। यह मामला भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ की गई टिप्पणी से जुड़ा हुआ है। इस मामले में चाईबासा की निचली अदालत ने राहुल गांधी को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया था, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, सोमवार को राहुल गांधी की ओर से यह याचिका वापस लेने का अनुरोध किया गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला वर्ष 2018 का है, जब अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राहुल गांधी ने उनके खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद भाजपा नेता प्रताप कटियार ने चाईबासा की अदालत में मानहानि का मामला दायर किया था। मामले को आगे बढ़ाते हुए इसे चाईबासा में स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।

अदालती प्रक्रिया और गिरफ्तारी वारंट

अप्रैल 2022 में चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, लेकिन वे कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके बाद 27 फरवरी 2024 को अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। राहुल गांधी की ओर से कोर्ट में आवेदन देकर सशरीर उपस्थित होने से छूट मांगी गई थी, लेकिन चाईबासा की अदालत ने इस आवेदन को खारिज कर दिया और उन्हें अनिवार्य रूप से पेश होने का निर्देश दिया।

याचिका वापसी और हाईकोर्ट का निर्णय

राहुल गांधी ने चाईबासा कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को राहुल गांधी के वकीलों ने इसे वापस लेने का आग्रह किया। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए चाईबासा कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर पूर्व में लगाई गई रोक भी हटा ली।

आगे की संभावित कानूनी कार्रवाई

याचिका वापस लेने के बाद अब राहुल गांधी को चाईबासा की अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ेगा। यदि वे अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ और सख्त कार्रवाई हो सकती है। इस मामले पर अब सभी की नजरें चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हुई हैं।

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस कानूनी लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाते हैं और अदालत में उनकी रणनीति क्या रहती है।