बेंगलुरु, नैसेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) की औपचारिक शिकायत के बाद केंद्र सरकार ने आईटी कंपनी इंफोसिस के खिलाफ प्रशिक्षुओं की कथित अवैध बर्खास्तगी को लेकर जांच शुरू कर दी है।
एनआईटीईएस ने इंफोसिस पर प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 और प्रशिक्षुता नियम, 1992 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। संगठन के अनुसार, कंपनी ने 700 से अधिक नए स्नातकों को दबाव में अलगाव समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया।
एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने बताया कि इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी के कार्यालय ने जांच के निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने एनआईटीईएस से इस मामले में आधिकारिक कार्रवाई रिपोर्ट साझा करने को भी कहा है।
इस विवाद ने कर्नाटक श्रम विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एनआईटीईएस का आरोप है कि अक्टूबर 2024 में भी विभाग ने इंफोसिस का बचाव किया था, जबकि नए स्नातक दो वर्षों तक ऑनबोर्डिंग की प्रतीक्षा करते रहे और अब उन्हें बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के निकाल दिया गया। एनआईटीईएस ने यह भी दावा किया कि श्रम विभाग को बार-बार रिमाइंडर देने के बावजूद जांच रिपोर्ट अब तक साझा नहीं की गई।
श्री सलूजा ने इस घटनाक्रम को युवा पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट दबाव और प्रणालीगत प्रतिरोध के बावजूद, एनआईटीईएस और प्रभावित कर्मचारी न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।