नागरकुर्नूल (तेलंगाना)। तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे आठ लोगों को बचाने के लिए अब रोबोट की मदद ली जा सकती है। 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने से ये श्रमिक और इंजीनियर अंदर फंस गए थे। एनडीआरएफ, सेना और नौसेना लगातार उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास में जुटी हुई हैं।
रोबोटिक्स कंपनी की टीम ने किया निरीक्षण
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद की एक रोबोटिक्स कंपनी की टीम ने मंगलवार को इस बात की जांच की थी कि क्या रोबोट सुरंग के भीतर गहराई तक जाकर काम कर सकता है। सुरंग में अत्यधिक आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) होने के कारण यह जांच आवश्यक थी। रोबोटिक्स कंपनी जल्द ही इस पर अपनी रिपोर्ट देगी। अधिकारी ने यह भी बताया कि भविष्य में जब इस परियोजना से जुड़े कार्य दोबारा शुरू होंगे, तो चट्टानों की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रोबोटों का उपयोग प्रारंभिक टोही (रैकी) के लिए किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का सहयोग जारी
इससे पहले, भूकंप संबंधी अध्ययन के लिए राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी बचाव दल के साथ सुरंग के भीतर जाकर जांच कर चुके हैं। 2 मार्च को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान का जायजा लिया था।
बचाव अभियान तेज, आधुनिक तकनीकों का उपयोग
एसएलबीसी परियोजना के तहत 22 फरवरी से सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों और इंजीनियरों को निकालने के लिए एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और अन्य विशेषज्ञ एजेंसियां अथक प्रयास कर रही हैं। बुधवार को बचाव अभियान को और तेज किया गया। वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई जगहों पर खुदाई जारी है ताकि फंसे हुए लोगों की सही स्थिति का पता लगाया जा सके।
अधिकारियों के अनुसार, ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (GPR) तकनीक का उपयोग कर मानव उपस्थिति की पहचान की जा रही है। हालांकि, सुरंग के भीतर मौजूद कीचड़ और पानी ने बचाव कार्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इसके अलावा, एनडीआरएफ की खोजी कुत्तों की टीम को भी बचाव कार्य में लगाया गया है, ताकि फंसे हुए लोगों की सही स्थिति का पता चल सके।
सरकार और प्रशासन लगातार इस बचाव अभियान पर नजर बनाए हुए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि आधुनिक तकनीकों की मदद से जल्द ही सभी मजदूरों और इंजीनियरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा।