बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव किए हैं। खासतौर पर देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना से जुड़ी सामग्रियों को हटाया गया है। इसके अलावा, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को कमतर दिखाने की भी कोशिश की गई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के शिक्षा मंत्रालय ने 57 विशेषज्ञों की एक टीम गठित कर 441 स्कूली किताबों में संशोधन किए हैं। इसके तहत 40 करोड़ से अधिक नई किताबें प्रकाशित की गई हैं। बदलावों के तहत कक्षा छह की अंग्रेजी की किताब से शेख मुजीब और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो प्रमुख तस्वीरें हटा दी गई हैं। इनमें से एक में मुजीब भाषण दे रहे हैं और गांधी उनके साथ मंच साझा कर रही हैं, जबकि दूसरी तस्वीर 17 मार्च 1972 की है, जब मुजीब ने ढाका हवाई अड्डे पर इंदिरा गांधी का स्वागत किया था।
राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान हटाने की आशंका
संशोधित पाठ्यपुस्तकों में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को पहले पृष्ठ से हटाकर पीछे कर दिया गया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इन्हें पूरी तरह से हटाया जा सकता है।
नई किताबों में कौन शामिल?
पाठ्यक्रम में बदलावों के तहत बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। इनमें मौलाना अब्दुल हमीद खान भाषानी, हुसैन सुहरावर्दी, अबुल कासम फजलुल हक, ताजुद्दीन अहमद और खालिदा जिया का नाम शामिल किया गया है।
पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर बरकरार
हालांकि, मुक्ति संग्राम के दौरान भारतीय सेना और मुक्तिजुद्धो (बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों) की भूमिका को किताबों में जगह दी गई है। कक्षा 5 की पुस्तक में ‘पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण और हमारी जीत’ नामक अध्याय में 1971 के आत्मसमर्पण की तस्वीर को बरकरार रखा गया है। इससे पहले कुछ विशेषज्ञों को आशंका थी कि पाकिस्तान से यूनुस सरकार के बेहतर होते संबंधों को देखते हुए इसे भी हटाया जा सकता है।
इन बदलावों को लेकर बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में व्यापक बहस छिड़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह देश के इतिहास को बदलने की कोशिश हो सकती है।